यांत्रिकी ( Mechanics )- गति, दूरी , वेग,विस्थापन,चाल,त्वरण, न्यूटन के गति संबंधी(प्रथम,द्वितीय, तृतीय) नियम

यांत्रिकी ( Mechanics )- गति, दूरी , वेग,विस्थापन,चाल,त्वरण, न्यूटन के गति संबंधी(प्रथम,द्वितीय, तृतीय) नियम

✻ भौतिक विज्ञान में यांत्रिकी ( Mechanics ) का अध्धयन

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यांत्रिकी ( Mechanics )- गति, दूरी , वेग,विस्थापन,चाल,त्वरण, न्यूटन के गति संबंधी(प्रथम,द्वितीय, तृतीय) नियम का अध्धयन :-

गति ( Motion ) :-

समय के साथ यदि किसी वस्तु की स्थिति में किसी स्थिर बिंदु के सापेक्ष कोई परिवर्तन होता है तो यह क्रिया गति कहलाती है । गति के कई प्रकार होते हैं जो इस प्रकार है :-

1. सरल रेखीय गति :-

जब एक वस्तु एक सीधी रेखा में गतिमान हो तो उसकी गति सरल रेखीय गति कहलाती है
उदाहरण : बंदूक से छोडी गई गोली , ढाल पर नीचे सरकता बालक आदि ।

2. वृक्रीय गति :-

जब एक वस्तु किसी वक्रीय मार्ग के साथ - साथ गतिमान हो, उसकी गति वक्रीय गति कहलाती है
उदाहरण : किसी वक्रीय सड़क पर मोड काटती गतिमान कार ।

3. वृत्तीय गति :-

जब एक वस्तु किसी वृत्ताकार पथ पर इस तरह गतिमान हो कि उसकी गति किसी बिंदु पर स्पर्श रेखा डालकर प्रदर्शित की जा सके , तब उसकी गति वृत्तीय गति कहलाती है
उदाहरण - सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की गति , पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की गति , परमाणु में नाभिक के चारों ओर इलेक्ट्रॉन की गति आदि ।

4. कंपनीय गति :-

जब कोई वस्तु किसी निश्चित बिंदु के इधर-उधर गति करती है तो उसे कंपनीय गति कहते हैं
जैसे : घड़ी के लोलक का अपनी मध्यमान स्थिति के दोनों और दोलन करना ।

दूरी ( Distance ) :-

किसी दिये गये समयांतराल में वस्तु द्वारा तय किये गये मार्ग की लंबाई को दूरी कहते हैं यह एक अदिश राशि है व सदैव धनात्मक होती है ।

वेग ( Velocity ) :-

गतिशील वस्तु के विस्थापन की दर अर्थात् एक सेकंड में हुये विस्थापन को वस्तु का वेग कहते हैं । वेग, एक सदिश राशि है इसका मात्रक मीटर / सेकंड होता है वस्तु का वेग धनात्मक व ऋणात्मक दोनों हो सकता है ।

विस्थापन ( Displacement ) :-

किसी विशेष दिशा में गतिशील वस्तु की स्थिति में परिवर्तन को उसका विस्थापन कहते हैं विस्थापन एक सदिश राशि है दूरी और विस्थापन में मुख्य अंतर यह है कि वस्तु का विस्थापन धनात्मक ऋणात्मक व शून्य कुछ भी हो सकता है, परंतु दूरी सदैव धनात्मक होती है ।

चाल ( Speed ) :-

किसी गतिमान कण की स्थिति बदलने की दर को उसकी चाल कहते हैं चाल किसी गतिमान कण द्वारा इकाई समय में तय की गई दूरी होती है चाल , एक अदिश राशि है ।
यदि कण सदैव समान काल में समान दूरी तय करें तो उसकी चाल एक समान ( Uniform ) कहलाती है अन्यथा परिवर्ती ( Variable ) ।

त्वरण ( Acceleration ) :-

किसी गतिमान वस्तु के वेग में प्रति एकांक समय में होने वाले परिवर्तन को उस वस्तु का त्वरण कहते हैं
त्वरण = वेग में परिवर्तन / समय
त्वरण एक सदिश राशि है यदि किसी वस्तु का वेग t1 समय पर u1 है तथा t2 समय पर u2 है तो
त्वरण = u2 - u1 / t1 - t2
यदि समय के साथ वस्तु का वेग घटता है तो त्वरण ऋणात्मक होता है , जिसे मंदन कहते हैं
M.K.S पद्धति में इसका मात्रक मीटर / सेकंड2 होता है

न्यूटन के गति संबंधी नियम ( Newton's Laws of Motion )

सन 1686 में सर आइज़क न्यूटन ने गति के तीन नियम दिए यह नियम इस प्रकार है :

प्रथम नियम ( First Law of Motion ) :-

यदि कोई वस्तु स्थिर अवस्था में है तो सदैव स्थिर रहेगी और यदि चल रही है तो उसी दिशा में उसी वेग से तब तक चलती रहेगी, जब तक कि वस्तु पर कोई बाहरी बल ने लगाया जाए ।
वस्तुओ के इस गुण को जिससे कि वे अपने वर्तमान अवस्था को न तो बदलती है और न बदलना चाहती है , जड़त्व ( Inertia ) कहते हैं
दैनिक जीवन में जड़त्व के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं रेलगाडी या बस के अचानक चलने पर उसमें खड़े यात्री को पीछे की ओर गिर जाना, चलती हुई गाड़ी को अचानक रोक देने पर यात्री का शरीर आगे की ओर झुक जाना , एक गिलास के ऊपर कार्ड ढक दिया जाए तथा कार्ड के ऊपर एक सिक्का रखकर यदि कार्ड को तेजी से खींचा जाये तो सिक्के का गिलास में गिरना , पेड़ को हिलाने से पके फलो का टूटकर नीचे गिरना आदि ।

द्वितीय नियम ( Second Law of Motion ) :-

वस्तु के संवेग परिवर्तन की दर उस पर लगाए हुई बाहरी बल के समानुपाती होती है तथा उसी दिशा में होती है जिसमें बाहरी बल लग रहा है
बल = द्रव्यमान x त्वरण
कोई कार भीड़भाड़ वाली सड़क पर चलाई जाए तो खुली सड़क की तुलना में उसमें इंधन की खपत ज्यादा होगी इसका कारण यह है कि भीड़भाड़ वाली सड़क पर कभी रुकेगी और कभी चलेगी बार-बार त्वरित गति में अधिक बल लगेगा जो ईंधन की खपत से प्राप्त होगा । खुली सड़क पर कार अपेक्षाकृत एक समान चाल से चलती रहेगी और यदा-कदा ही त्वरित गति को पाएगी और परिमाणत: ईंधन की कम खपत होगी ।

तृतीय नियम ( Third Law of Motion ) :-

प्रत्येक क्रिया की उतनी किंतु विपरीत प्रतिक्रिया होती है क्रिया एवं प्रतिक्रिया सदैव दो विभिन्न वस्तुओं पर कार्य करती है इस नियम को "संवेग की अविनाशिता का नियम" या संवेग संरक्षण का नियम ( Law of Conservation of Momentum ) कहते हैं ।
बंदूक से गोली चलाने पर , चलाने वाले को पीछे की ओर धक्का लगता है ।
जब हम नाव से नदी के किनारे पर कूदते हैं तो नाव को अपने पैरों से पीछे की ओर दबाते हैं । इससे नाव झटके से पीछे की ओर हट जाती है तथा उसकी प्रतिक्रिया हमें आगे की ओर फेंक देती है ।
सूर्य , पृथ्वी को खींचता है पृथ्वी भी सूर्य को अपनी ओर उसी बल से खींचती है । पृथ्वी , चंद्रमा को अपनी ओर खींचती है चंद्रमा भी पृथ्वी को अपनी और उसी बल से खींचता है चंद्रमा के इस खिंचाव के कारण समुद्र में ज्वार- भाटे आते हैं ।
जितने बल से घोड़ा गाड़ी को खींचता है उतने ही बल से गाड़ी घोड़े को विपरीत दिशा में खींचती है

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