अंतस्रावी तंत्र व ग्रंथियां

ग्रन्थियाँ :

अंतस्रावी ग्रंथी और हॉर्मोन्स का अध्ययन "एंडोक्राइनॉलॉजी" कहलाता है। "एंडोक्राइनॉलॉजी" के जनक थॉमस एडीसन हैं।
इन्सुलिन बायो टैक्नोलॉजी से भी बनाया जाता है जिसे "ह्युम्युलिन" कहते हैं।
ग्रन्थियाँ मनुष्य के शरीर की आंतरिक व बाहरी वृद्धि, विकास, सुरक्षा आदि का नियंत्रण करती है। शरीर की सभी ग्रन्थियाँ एपीथीलियसी स्तर से वलयित होती है।
कशेरुकियों में तीन प्रकार की ग्रन्थियाँ होती है
1. बहि:स्रावी ग्रन्थियाँ (Exocrine Glands)
2. अन्त:स्रावी ग्रन्थियाँ (Endocrine Glands)
3. मिश्रित ग्रन्थियाँ (Mixed Glands)

बहि:स्रावी ग्रन्थियाँ :

इन ग्रन्थियों द्वारा स्रावित पदार्थ इनकी वाहिकाओं में बहकर संबंधित अंग में ही जाते हैं। इसलिये इन्हें वाहिनियुक्त ग्रन्थि भी कहते हैं।
उदाहरण :- यकृत ग्रन्थि, स्वेद ग्रन्थि, लार ग्रन्थि, सिबेशियस ग्रन्थि लेक्राइमल ग्रंथि सीरूमिनस ग्रंथि ।

अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ :-

यह एपीथीलिया से विच्छेदित होने पर नलिकाविहीन हो जाती है।
इन ग्रन्थियों से स्रावित पदार्थ को हार्मोन्स कहते हैं । इस प्रन्थियां का कंट्रोल हाइपोथेलेसम मे होता है। इन ग्रन्थियों को नलिका विहीन ग्रन्थियाँ भी कहते हैं।
उदाहरण :
1. थायराइड ग्रन्थि 2. पीनियल ग्रन्थि 3 पिटयूटरी ग्रंथि 4. थाइमस ग्रन्थि , 5. एड्रीनल ग्रन्थि, 6. पेराथॉइराइड ग्रन्थि

मिश्रित ग्रन्थियाँ :

यह वाहिकायुक्त होती है लेकिन इनमें बही व अन्तःस्रावी दोनों प्रकार की कोशिकाएं होती है।
उदाहरण :
अग्नाश्य ग्रंथि, उदर, ड्यूडेनम ग्रंथि है।

हार्मोन :

हार्मोन नाम बेलिस व स्टारलिंग ने दिया। वर्ष 1905 में हार्मोन को रासायनिक संदेश वाहक भी कहते हैं। हाम्मोन क्रिया करने के बाद नष्ट हो जाते हैं। यह दूरस्थ स्थानों तक भी अपना प्रभाव दिखाते हैं।

फिरोमोन्स :

कीटो द्वारा विपरीत लिंग को आकर्षित करने के लिए स्रावित किया गया पदार्थ फिरोमोन्स (बाह्य हार्मोन) कहलाता है।
उदाहरण :- मधुमक्खी द्वारा जिरेडियोल स्रावित किया जाता है।
रेशमकीट द्वारा बोम्बीकॉल स्रावित किया जाता है।

मानव की अन्तःस्रावी ग्रंथियां :

मानव की मुख्य अन्तःस्रावी ग्रंथियां :

1. पीयूष ग्रंथि
2. थाइराइड ग्रथि
3. पैराथाइरॉइड ग्रंथि
4. एड्रिनल ग्रंथि
5. पीनियल ग्रंथि
6. थाइमस ग्रंथि
7. हाइपोथैलेमस ग्रंथि
৪. अंडाश्य
9. वृषण

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1. पीयूष ग्रन्थि :

पीयूष ग्रन्थि मस्तिष्क में पाई जाती है। यह मटर के दाने के समान होती है।यह शरीर की सबसे छोटी अंतस्रावी ग्रंथि है। इसे मास्टर ग्रंथि भी कहते हैं।
इसके द्वारा वृद्धि हार्मोन, आक्सीटोसिन, ADH/ वेसोप्रेसीन हार्मोन, प्रोलेक्टीन हार्मोन स्रावित किये जाते हैं।

ADH/वैसोप्रेसीन हार्मोन :

इस हार्मोन की कमी से बारबार पेशाब आता है जिसे उदकमेह (डायबिटीज इन्सीपीड्स) रोग कहते हैं। यह हार्मोन जल का संरक्षण करता है व मूत्र का सांद्रण करता है।

ऑक्सीटोसीन हार्मोन :

इसे Dairy Industry में Use करते हैं। यह हार्मोन भी पीयूष ग्रंथि द्वारा स्रावित होता है। यह मनुष्य में दुध का निष्कासन व प्रसव पीड़ा के लिए उत्तरदायी होता है। इसे Love हार्मोन भी कहते हैं। इसे गर्भपात व बर्थ (Birth ) हार्मोन भी कहते

सोमेटाट्रोपिन हार्मोन :

इसे वृद्धि हार्मोन भी कहते हैं। इसकी कमी से बोनापन (Dwarf ism) रोग हो जाता है। व इसकी अधिकता से महाकाय रोग होता है।

LH हार्मोन (ल्यूटीनाइजिंग हार्मोन ) :

यह हार्मोन पुरुष में टेस्टीस्टेरोन हार्मोन को स्रावित करता है जो द्वितीय गौण लक्षण ढाढी मुछों का आना आदि को नियंत्रित करता है।
यह हार्मोन महिला में अण्डोत्सर्ग को प्रेरित करता है।

FSH THa (Folical Stimulating Harmon) :

यह हार्मोन पुरुष में शुक्राणु निर्माण व महिला में अण्डाणु के निर्माण को प्रेरित करता है।

2. थाइराइड ग्रंथि :

यह ग्रन्थि गले में श्वास नली के पास होती है। यह शरीर की सबसे बड़ी अंतरस्रावी ग्रंथि है। इसकी आकृति ' एच' होती है ।
इसके द्वारा थाइरॉक्सीन हार्मोन स्रावित होता है। इस हार्मोन में आयोडीन पाई जाती है। जो उपापचय की दर को नियंत्रित करता है।
इस हार्मोन की कमी से बच्चों में क्रिटिनिज्म रोग (जडमानवता) व वयस्क में मिक्सिडीमा रोग होता है।
इस हार्मोन की अधिकता से ग्रेब्ज रोग, प्लुमर रोग, एक्सोप्थेल्मिक गाइटर रोग (नेत्र गोलक बाहर आ जाते हैं) होता है।
थायराइड ग्रंथि को स्वयं की आत्महत्या करने वाली (Tompo aflife) ग्रंथि कहते हैं। क्योंकि कभीकभी दवा लेने पर इसके विरुद्ध शरीर में antibody(एंटिबाडी) बनकर थाइराइड को नष्ट कर देते हैं जिसे हाशिमोटो रोग कहते हैं। इसे थाइराइड गंविका suicide कहते है।

3. पैराथॉइराइड ग्रंथि :

इस परावन्टु ग्रंथि भी कहते हैं। यह संख्या में 4 होती है। यह पेराथार्मोन हार्मोन स्रावित करती है। यह हा्मोन रक्त में Ca+ बढ़ाता है जो " विटामिन D " की तरह कार्य करता है। इस हार्मोन की कमी से टिटेनी रोग होता है।

4. एड्रिनलिन ग्रंथि :

इसे अधिवृवक ग्रंथि भी कहते हैं। यह वृवक के ऊपर स्थित होती है। यह ग्रंथि भय, क्रोध, संट के दौरान सबसे ज्यादा सक्रिय होती है।
एड्रिनलिन ग्रंथि मानव के कॉर्टेक्स में कार्टीसोल हार्मोन स्रावित करती है व मेड्यूला में एड्रिनलीन हार्मोन स्रावित करता है।
कार्टिसोल हार्मोन को जीवन रक्षक हार्मोन भी कहते हैं। यह स्टीरॉयड प्रकृति का होता है। इस हामोन की अधिकता से कुशिग रोग होता है।
एड्रिनलिन हार्मोन को 3F हार्मोन/करो व मरो हार्मोन भी कहते हैं।

एल्डोस्टीरॉन हार्मोन :

यह एड्रिनलिन ग्रंथि द्वारा स्रावित होता है।
यह हार्मोन जल व खनिज लवण का संतुलन करता है। इसकी कमी से एडिसन रोग होता है।

5. पीनियल ग्रंथि :

यह सरीसृपों में मुख्य विकसित होती हैं।
यह मैलाटोनीन हार्मोन स्रावित करती हैं।
मेलाटोनिन मेलानिन संश्लेषण को रोकती हैं।
पिनियल काय "सर्केडियन ताल" को दर्शाती हैं अ्थात् यह जैविक घड़ी को नियंत्रित करती हैं।

6. थाइमस ग्रन्थि :

थाइमस ग्रंथि को प्रतिरक्षी ग्रंथि भी कहते हैं। यह छाती में हृदय के समीप पाई जाती है। यह ग्रंथि एंटीवॉडी का स्रवण करती है। यह ग्रंथि बचपन में बड़ी व वयस्क अवस्था में छोटी हो जाती है। वयस्क में यह अवशेष ग्रंथि होती है।
यह ग्रंथि टीलिम्फोसाइट का परिपक्वन करती है।

7. अग्नाश्य ग्रंथि :

अग्नाश्य ग्रंथि को मिश्रित ग्रंथि भी कहते हैं। यकृत के बाद दूसरा सबसे बड़ी प्रथि है। इस ग्रंथि में लेग्रहैन्स द्वीप समूह पाया जाता है। जिसमें α, व β cell (कोशिकाएं) पाई जाती है। जिनमें β cell द्वारा इन्सुलिन हार्मोन का स्राव होता है जो रक्त में ग्लुकोज को कम करता है व α cell द्वारा ग्लूकागॉन हार्मोन का स्रवण होता है जो रक्त में ग्लुकोज के स्तर को बढ़ाता है।

इंसुलिन :

यह एक प्रकार की प्रोटीन है जो 51 Amino Acid (अमीनो अम्ल ) से मिलकर बनी होती है। इंसुलिन की संख्या फ्रेडरिक सेगर ने दी थी व इसका टीका बेस्ट व बेरिंग ने तैयार किया। मानव द्वारा निर्मित प्रथम इंसुलिन ह्यूमूलिन (1978) में बनी।
इंसुलिन की अधिकता से हाइपोग्लासिनिया रोग हो जाता है । इंसुलिन की कमी से डाइबिटीज मेलिटस (मधुमेह) रोग होता है।


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विगत परीक्षाओं में आए प्रश्न

1. दुग्धजनक हॉर्मोन का स्राव कहाँ पर होता है।
पीयूष

2. पीयूष ग्रंथि शरीर में किस स्थान पर स्थित होती है ?
मस्तिष्क के आधार में

3. मानव शरीर में वे नियंत्रण केंद्र कहां है जो भूख, पानी, संतुलन तथा शरीर के तापमान को विनियमित करते हैं ?
हाइपोथैलेमस ग्रंथि

4. मानव शरीर की कौनसी ग्रंथि, पीयूप ग्रंथि से हॉर्मोन के रिसाव को नियंत्रित करती है ?
हाइपोथैलेमस ग्रंथि

5. मानव शरीर की सबसे बड़ी मिश्रित ग्रंथि है।
अगन्याशय

6. स्तनपायी में सबसे बड़ी ग्रंथि कौनसी होती है।
यकृत

7. थॉयरॉयड ग्रंथि की सामान्यता बनाए रखने के लिए नमक में आयोडिन किस रूप में मिलाया जाता है ?
KI

8. इंसुलिन का आविष्कार किसने किया ?
एफ. बैंटिंग

9. हार्मोन के रूप में कार्य करने वाले प्रोटीन का उदाहरण बताइए
ऑक्सीटोसिन

10. जानवरों की एक जाति द्वारा उसी जाती के अन्य सदस्यों को आकर्षित करने के लिए मोचित किए जाने वाले रासायनिक द्रव्य है
फेरोमोन

11. मानव शरीर में कौनसी ग्रंथि ऐसी है, जिसका संबंध शरीर की उत्तेजना से है?
अधिवृक्क

12. यह नर लिंग हॉमोन है।
टेस्टोस्टेरॉन

13. वृद्धिकर हॉर्मोन बनाया जाता है।
पयूष ग्रंथी द्वारा

14. ग्रेव का रोग, किस कारण से होता है?
थायरॉइड की अतिसक्रियता

15. आमाशय ग्रंथियों की पेप्सिन स्रावी कोशिकाएं हैं
मुख्य कोशिकाएँ

16. स्तन पाइयों में स्वेद ग्रंथियों मूलतः संबंधित हैं।
तापनियम से

17. आदमी के कंठ के किस भाग को अवटू अद्वर्ध (ऐडम्स ऐपल) कहा जाता है?
थाईरॉइड उपास्थि

18. एक मासिक धर्म चक्र के दौरान सामान्यतया नि:सृत अंडों की संख्या कितनी होती है?
1

19. आयोडीन की कमी के कारण क्या होता है?
घेघा

20. आयोडीनयुक्त नमक लाभकारी होता है।
थाइरॉइड (अवटू ग्रंथि ) के काम के लिए

21. ए.सी.टी. हॉर्मोन स्रावित होता है।
पीयूष ग्रंथि से

22. डायबिटीज मेलिटस किस हार्मोन के कम बनने से होती है?
इंसुलिन

23. जब कोई व्यक्ति रोता है, तो इसके सक्रियण के कारण नाक से जल विसर्जन होता है।
अश्रुकारी ग्रंथी

24. माँ और शिशु के बीच गले लगना या चूमना किस हार्मोन को प्रेरित करता है?
ओक्सीटोसिन

25. अगन्याशय को पाचक रस के उत्पदन के लिए उत्तेजित करने वाला हार्मोन कौन है?
सक्रिटिन

26. गाय और भैंस के थनों से दूध उतारने के लिए किस हार्मोन की सुई लगाई जाती है।
ऑक्सीटोसिन

27. टीकाकरण द्वारा किसको नियंत्रित किया जा सकता ?
मधुमेह

28. मधुसूदनी (इन्सुलिन) अन्तः स्रावी (हार्मोन) एक
पेप्टाइड है।

29. थायराइड ग्रन्थि से शावराकिसन सावित करने के वाला अन्तःस्नावी हार्मोन कौन सा है ?
THS

30. कौन सा हार्मोन 'लड़ो और उड़ो' हार्मोन कहलाता है
एड्रीनेलीन

31. एस्ट्रोजन जो एक हार्मोन है, किसके द्वारा उत्पादित होता है
ग्राफियन पुटिका

32. डहेलिया की जड़ों से प्राप्त होता है
इन्सुलिन

33. साइटोकाइपिन, इथिलीन तथा जिब्रलिन आदि है
पादप हार्मोन्स

34. इन्सुलिन का उत्पादन किया जाता है।
आइलेट्स ऑफ लैंगरहैंस के बीटा कोशिकाओं द्वारा

35. बहि:स्नावी ग्रंथि के उदाहरण हैं।
दुग्ध, स्वेद, अश्रु, श्लेष्म तथा लार ग्रंथियाँ

36. (खास तौर से हड्डियों) की वृद्धि को नियंत्रित करता है।
पीयुष ग्रंथि द्वारा स्नावित STH हार्मोन

37. STH के न्यून स्नावण से समस्या उत्पन्न होती है।
बौनापन की

38. थायरॉइड ग्रंथियों को हार्मोन स्नावित करने के लिए उत्तेजित करता है
पीयुष ग्रंथि द्वारा स्नावित LTH हार्मोन

39. जनन अंगों के कार्यों को नियंत्रित करता है
पीयुष ग्रंथि द्वारा स्त्रावित GIH हार्मोन

40. पीयुष ग्रंथि द्वारा स्नरावित LTH हार्मोन का मुख्य कार्य गर्भवती महिलाओं में दुग्धनिर्माण को प्रेरित करना है।
पीयुष ग्रंथि द्वारा स्त्रावित GIH हाम्मोन

41. किस कारण से छोटी छोटी रक्त धमनियों का संकीर्ण होता है तथा रक्त दाब बढ़ जाता है।
पीयुष ग्रंथि द्वारा स्त्रावित ADH हाम्मोन

42. अवटू ग्रंथि स्रावित करता है आयोडीन की अधिकता रहती है।
थायरॉक्सिन एवं ट्रायडोथधायोनिन नामक हार्मोन

43. थायरॉक्सिन की लंबे समय तक कमी के कारण रोग हो जाता है
हाइपोथायरॉयडिज्म नामक

44. कभी कभी मनुष्य गूंगा बहरा हो जाता है
हाइपोथारॉयडिज्म' के कारण

45. थायरॉक्सिन की अधिकता के कारण रोग हो जाता है
एकसोपथैलमिया नामक

46. यह दो प्रकार के हार्मोन स्नाव करती है
पाराथाइरॉइड हार्मोन एवं कल्सिटोनि का

47. 'पराअवटु ग्रंथि' शरीर में केल्सियम की मात्रा को नियंत्रित करती है।

48. कार्बोहाईड्रट, प्रोटीन एंव वसा उपापचय को नियंत्रित करता है।
'कॉर्टेक्स' से स्त्रावित गलकोकॉर्टिंक्वाइड्स नामक ग्रंथि

49. 'कॉर्टेक्स' द्वारा स्त्रावित एक अन् यहार्मोन मिनरलोकॉर्टिक्वायड्स मात्राओं की नियंत्रित करता है।
वृक्क नलिकाओं द्वारा लवण के पुन: अवशोषण एवं शरीर में अन्य शरीर में अन्य लवणों की

50. 'कॉर्टेक्स' के विकृत होने पर हो जाता है
एडीसन रोग (उपापयची प्रक्रमों में गड़बड़ीं)

51. अगर मनुष्य के शरीर से कॉर्टेक्स निकाल दिया जाय तो
वह केवल एक या दो हफ्ते ही जीवित रह सकता है।

52. एक प्रकार का अमीनो अम्ल हैं।
मेडुला द्वारा स्त्रावित हार्मोन एवं नॉरएपिनेफ्रिन

53. अधिवृक्क ग्रंथि से निकलने वाला हार्मोन कहलाता है
लड़ो एवं उड़ो हार्मोन

54. जननग्रंथि दो प्रकार की होती है।
अंडाशय एवं वृषण।

55. 'अंडाशय' द्वारा स्रावित हार्मोन पूर्णतः परिवर्द्धित करता है
एस्ट्रोजेन से संयोग कर

56. गर्भावस्था में उपस्थित होने वाला हार्मोन पूर्णत: परिवद्धित करता है
एस्ट्रोजेन से संयोग कर

57. गर्भावस्था में उपस्थित होने वाला हार्मोन स्तरावित होता है
रिलैक्सिन अंडाशय द्वारा

58. रिलैक्सिन का कार्य है।
गर्भाशय ग्रीवा को चौड़ा करना ताकि बच्चा आसानी से पैदा हो सके।

59. वृष्ण द्वारा हार्मोन का स्राव किया जाता है।
टेस्टोस्टेरॉन
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