पारिस्थितिकी विज्ञान जीव विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत जी वो और उसके वातावरण के पारस्परिक संबंधों का अध्ययन किया जाता है ।
पारितंत्र :-
► पारितंत्र A.G टेंस्ले ने दिया । ► सबसे बड़ा पारितंत्र समुद्र होता है । ► सबसे छोटा पारितंत्र पानी की बूंद में होता है। ► सबसे स्थाई पारितंत्र महासागर में होता है क्योंकि समुद्र में सबसे ज्यादा जैव विविधता पाई जाती है । ► इकोलॉजी शब्द सर्वप्रथम 1866 में हेकल ने दिया ► फॉदर ऑफ इकोलॉजी - अलेग्जेंडर , वॉन हम्बोल्ट ► इंडियन फॉदर ऑफ इकोलॉजी - रामदेव मिश्रा ► स्वयंपारिस्थितिकी ( Autecology ) एक जीबों का वातावरण के साथ संबंधों का अध्ययन स्वयं पारिस्थितिकी कहलाता है । ► समुदाय पारिस्थितिकी ( Synecology ) पूरे जैविक समुदाय का वातावरण के साथ संबंधों का अध्ययन समुदाय पारिस्थितिकी कहलाता है ।
यह दो प्रकार के होते हैं -1. जीवीय अंश ( Biotic Compound ) :-
( 1 ) उत्पादक ( Producers ) :- पर्णहरित युक्त हरे पौधे जो सूर्य के प्रकाश में भोजन बनाते हैं । यह मूल उत्पादक (Primary Producers) कहलाते हैं । उदाहरण - शैवाल , हरे पादप । ( 2 ) उपभोक्ता ( Consumers ) :- सभी जंतु उर्जा उत्पन्न करने वाली वस्तुएं सीधे अथवा दूसरे के द्वारा पौधों से ही ली जाती है । ► यह तीन प्रकार के होते हैं - ( a ) प्राथमिक उपभोक्ता कीड़े , मकोड़े , टिड्डे :- यह पौधों की पत्तियां व कोमल तनु को खाती है खरगोश गाय बकरी यह पौधे के तने में पत्तियां खाती है जबकि मनुष्य पौधों के सभी भागों को खाता है यह शाकाहारी कहलाते हैं । ( b ) कुछ निश्चित जंतु , मेंढक , शेर , चीता, लोमड़ी आदि मांसाहारी होते हैं जो शाकाहारी जंतु को खाते हैं यह गोंण उपभोक्ता हैं । ( c ) तीसरी श्रेणी के उपभोक्ता मांसाहारी जंतु को खाते हैं जैसे - सांप मेंढक को खाता है सांप को गिद्ध खाता है आदि । ( 3 ) अपघटक ( Decomposers ) :- यह विषाणु, जीवाणु ,कवक , मृत पौधे अथवा जंतुओं के शरीर को सड़ा देते हैं तथा विघटित कर मिट्टी में मिला देते अपघटक कहलाते हैं विघटित पदार्थ मिट्टी में मिल जाते हैं ।
2. अजीविय अंश (Abiotic Components ) :-
( 1 ) जलवायवीय कारक :- यह जल ,ताप , वर्षा , आर्द्रता , प्रकाश आदि होते हैं । ( 2 ) अकार्बनिक पदार्थ ( Inorganic Compound) :- यह नाइट्रोजन , फास्फोरस , जल, सल्फर कैल्शियम cycle आदि है ( c ) कार्बनिक पदार्थ ( organic Compound ) :- ► यह पदार्थ जैविक अंश को अजैविक अंश से जोड़ता है जैसे - प्रोटीन , कार्बोहाइड्रेट , लिपिड आदि । ► कोई भी पारितंत्र उर्जा की दृष्टि से खुला होता है। ► किसी भी पारितंत्र में पोषक तत्वों का चक्रण जैव-भू-रासायनिक चक्र कहलाता है । यह दो प्रकार का होता है - 1. वायवीय चक्र 2. अवसादी चक्र । ► वायवीय चक्र में कार्बन , ऑक्सीजन , हाइड्रोजन नाइट्रोजन इत्यादि गैसों का चक्रण होता है । ► अवसादी चक्र में फास्फोरस व सल्फर का चक्रण होता है । ► पारितंत्र कृत्रिम व प्राकृतिक हो सकता है । ► प्राकृतिक पारितंत्र वन , मरुस्थल , घास के मैदान इत्यादि में होता है ज बकि कृत्रिम पारितंत्र वन , बांधो , बगिया , मछलीघर ,स्पेश स्टेशन आदि में होता है मछली घर पूर्णत: कृत्रिम पारितंत्र है । ► अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यात्री खाने के लिए क्लोरेला शैवाल जाते हैं ।