सीमेंट व सीमेंट बनाने की विधि तथा उपयोग

सर्वप्रथम जोसेफ एसपीडिन ( ईट निर्माता ) ने बताया कि चूने के पत्थर एवं सिलिका को उच्च ताप पर गर्म करके पानी मिला दिया जाए तो पत्थर के समान कठोर पदार्थ बन जाता है यह पदार्थ इंग्लैंड में पॉर्टलैंड नामक स्थान पर मिलने वाली चट्टानों के समान था इसलिए इसका नाम का पॉर्टलैंड सीमेंट रखा गया |
► सीमेण्ट कैल्सियम ऐलुमिनेट तथा कैल्सियम सिलिकेट का मिश्रण होता है। यह एक धूसर (grey) रंग का बारीक चूर्ण होता है, जिसमें जल के साथ अभिक्रिया करके जमने तथा दृढ़ होने का गुण होता है।
► सीमेण्ट में चूना, सिलिका , ऐलुमिना, मैग्नीशिया व आयरन तथा सल्फर के ऑक्साइड मिले रहते हैं।
► सीमेण्ट् जब जल के सम्पर्क में आता है, तो उसमें उपस्थित कैल्सियम के सिलिकेट व ऐलुमिनेट जल से क्रिया करके एक कोलाइडी विलयन बनाते हैं। यही कोलाइडी विलयन जम जाता है।
► सीमेण्ट में चूना की मात्रा अधिक रहने पर जमते समय उसमें दरारें पड़ जाती हैं, जबकि सीमेण्ट में ऐलुमिना की मात्रा अधिक रहने पर वह शीघ्र जमता है।

सीमेंट को निम्न घटकों की सहायता से बनाया जाता है -

► डाई कैल्शियम सिलीकेट :- 2 CaO . SiO2
► ट्राई कैल्शियम सिलीकेट :- 3 CaO . SiO2
► डाई कैल्शियम एल्युमिनेट :- 2 CaO . Al2O3
► ट्राई कैल्शियम एल्युमिनेट :- 3 CaO . Al2O3
► टेट्रा कैल्शियम एल्युमिनो सिलीकेट :- 4CaO . Al2O3 . SiO2
► जिप्सम :- MgO

बनाने की विधि :-

► इन सभी यौगिकों को घूमने वाली भट्टी में डालकर 1700 K से 1900 K ताप तक गर्म किया जाता है एवं प्राप्त उत्पाद छोटी-छोटी गोलियों के रूप में प्राप्त होता है जिसे क्लिंकर कहते हैं इस क्लिंकर को FeO2O3 एवं कुछ मात्रा में जिप्सम मिलाकर महीन चूर्ण में पीसा जाता है जिसे सीमेंट कहते हैं |

सीमेंट के उपयोग :-

► भवन निर्माण में |
► सड़क , पुल , नालियां आदि बनाने में |

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