1. आवर्ती घटनाओं का उपयोग समय मापन हेतु करते हैं । 2. प्राचीन काल में रेत घड़ी एवं जल घड़ी का उपयोग समय मापन हेतु किया जाता था । 3. एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय के बीच के समय को एक सौर दिन कहते हैं । 4. एक अमावस्या से दूसरे अमावस्या के बीच की अवधि को चंद्रमास कहते हैं । 5. ऐसी घटनाएं जो निश्चित अंतराल में दोहराई जाती है तथा जिनमें हमें समय और समय के अंतरालों का आभास होता है , आवर्ती घटनाएं कहलाती है जैसे - सौर दिन , चंद्रमास , वर्ष आदि । 6. धातु के छोटे गोले या पत्थर के टुकड़े को किसी दृढ़ आधार से धागे द्वारा लटकाकर दोलन कराते हैं तो इसे सरल लोलक कहते हैं । 7. सरल लोलक का एक दोलन पूरा करने में जितना समय लगता है उसे सरल लोलक का आवर्तकाल कहते हैं । 8. समय मापन की सबसे सामान्य युक्ति घड़ी है जो आवर्ती गति के आधार पर गति करती है । 9. समय का अंतरराष्ट्रीय मात्रक सेकंड होता है । 10. एक सेकंड के दस लखवें भाग को माइक्रो सेकंड एवं एक अरबवें भाग को नैनो सेकंड कहते हैं । 11. किसी वस्तु द्वारा एकांक समय में तय की गई दूरी को उस वस्तु की चाल कहते हैं । 12. किसी सरल रेखा के अनुदिश गति करने वाली वस्तु की चाल परिवर्तित होती रहती है इसे असमान चाल कहते हैं । 13. कोई वस्तु किसी सरल रेखा के अनुदिश नियत चाल से गति कर रही है तो उसे एकसमान चाल कहते हैं । 14. चाल का अंतरराष्ट्रीय मात्रक मीटर प्रति सेकंड है । 15. पथमापी ( ओडोमीटर ) वाहन द्वारा तय की गई दूरी मापता है । 16. वस्तु की चाल द्वारा उनकी मंद एवं तीव्र गति की तुलना कर सकते हैं । 17. नियत चाल से चलने वाली गतिशील वस्तु का दूरी - समय ग्राफ एक सरल रेखा होती है ।