क्रोमोसोम की संख्या में परिवर्तन अथवा जीन उत्परिवर्तन के कारण विभिन्न तरह की अनियमितताएं जीन में पाई जाती है जो वंशागत होती है ।
► पटाऊ सिंड्रोम :-
यह रोग गुणसूत्र के 13 वें जोड़े में 1 गुणसूत्र की वृद्धि होने पर होता है ।
► एडवर्ड सिंड्रोम :-
ये रोग गुणसूत्र के 18 वें जोड़े में 1 गुणसूत्र की वृद्धि से होता है ।
► डाउंस सिंड्रोम :-
यह रोग गुणसूत्र के 21 वे जोड़े में गुणसूत्र 2 के बजाए तीन होते हैं । इस सिंड्रोम वाला व्यक्ति छोटे कद व मंदबुद्धि वाला होता है व पुरुष नपुंसक होते हैं इसे मंगोली जड़ता भी कहते हैं ।
► टर्नर सिंड्रोम :-
इस रोग में केवल एक X गुणसूत्र पाया जाता है अर्थात 44 +XO होते हैं इसमें व्यक्ति का कद छोटा , जननांग अल्पविकसित , वक्ष चपटा होता है ।
► क्वाइन फेल्टस सिंड्रोम :-
इसमें लिंग गुणसूत्र के दो के बजाय तीनों जाते हैं प्राय: XXY होते हैं अर्थात् 44+XXY होते हैं । इसमें व्यक्ति के वृषण छोटे होते हैं वह शुक्राणु नहीं बनते है ।
► जैकब सिंड्रोम ( क्राइमल सिंड्रोम ) :-
इस में गुणसूत्र की स्थिति 44 + XXY होती है । इसे आपराधिक सिंड्रोम भी कहते हैं ।
► वर्णांधता :-
वर्णांध व्यक्ति लाल व हरे का भेद नहीं कर पाता है इससे डल्टोनिज्म भी कहते हैं यह लिंग - संबंधित रोग है जो वंशागत होता है इसमें महिला वाहक होती है |
► हीमोफिलिया :-
यह लिंग सत्लग्न रोग है इस रोग में यदि व्यक्ति को चोट लग जाती है तो रक्त लगातार बहता है अतः इसे रक्त स्त्रावन रोग भी कहते हैं यह रोग प्राय: पुरुषों में पाया जाता है यह वंशागत रोग है ।
► एनीमिया :-
इस रोग में ऑक्सीजन की कमी के कारण लाल रक्त कणिकाएं हसिया के आकार की होकर फट जाती है ।
► ल्यूकेमिया :-
इसे रक्त कैंसर भी कहते हैं इस रोग में W.B.C बढ़ जाती है ।
► थैलेसेमिया :-
इस रोग में RBC मैं हिमोग्लोबिन नहीं बनता है हटिंगटन रोग , पर्किंसन रोग , अल्जाइमर फिनायल कीटोन्यूरिया यह सभी रोग मस्तिष्क प्रभावित रोग है ।