अवकलनीयता एवं अवकलज (Differentiability and Derivatives) | PDF Download |

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प्रस्तावना ( introduction) :-

यदि किसी वक्र की समीकरण y = ƒ(𝓍) हो तो फलन ƒ(𝓍) बिंदु 𝓍 = a पर अवकलनीय कहलायेगा यदि वक्र के इस बिंदु पर स्पर्श रेखा खींची जा सकती हो | फलन ƒ(𝓍) बिंदु 𝓍 = a पर अवकनीय नही होगा यदि वक्र इस बिंदु पर असंतत हो | इस प्रकार ƒ(𝓍) बिंदु P पर अवकलनीय है यदि और केवल यदि बिंदु P पर एक अद्वितीय स्पर्श रेखा का अस्तित्व हो

दायाँ अवकलज ( Right hand derivative ) :-

limh → 0
ƒ(a + h) - ƒ(a) / h
को बिंदु 𝓍 = a पर फलन ƒ(𝓍) का दायाँ अवकलज कहते है और इसे Rƒ'(a) या ƒ'(a + 0) से व्यक्त करते है जहाँ h धनात्मक राशि है

बायाँ अवकलज ( Left hand derivative ) :-

limh → 0
ƒ(a - h) - ƒ(a) / -h
को बिंदु 𝓍 = a पर फलन ƒ(𝓍) का बायाँ अवकलज कहते है और इसे Lƒ'(a) या ƒ'(a - 0) से व्यक्त करते है जहाँ h धनात्मक राशि है |

अवकलनीयता (Differentiability) :-

कोई फलन ƒ(𝓍) बिंदु 𝓍 = a पर अवकलनीय होगा यदि 𝓍 = a पर इसके दायें व बायें अवकलज परिमित रूप से विधमान हो और समान हों

Rƒ'(a) = Lƒ'(a)
limh → 0
ƒ(a + h) - ƒ(a) / h
=
limh → 0
ƒ(a - h) - ƒ(a) / -h
ƒ'(a + 0) = ƒ'(a - 0)

टिप्पणी : फलन ƒ(𝓍) बिंदु 𝓍 = a पर अवकलनीय नही होगा यदि
1. Rƒ'(a) ≠ Lƒ'(a)
2. Rƒ'(a) एवं Lƒ'(a) में से कोई एक या दोनों अपरिमित हों
3. Rƒ'(a) एवं Lƒ'(a) में से कोई एक या दोनों विधमान न हों

अन्तराल में अवकलनीयता ( Differentiability in an interval) :-

1. फलन ƒ(𝓍) खुले अन्तराल (a,b) में अवकलनीय कहलायेगा यदि ƒ(𝓍) इस अन्तराल के प्रत्येक बिंदु पर अवकलनीय हो |
2. फलन ƒ(𝓍) बंद [a,b] में अवकलनीय होगा यदि (I) फलन ƒ(𝓍) अन्तराल (a,b) में अवकलनीय हो (II) बिंदु 𝓍 = a पर ƒ(𝓍) पर दायाँ अवकलज विधमान हो (III) बिंदु 𝓍 = b पर ƒ(𝓍) पर बायाँ अवकलज विधमान हो

सांतत्य एवं अवकलनीयता में सम्बन्ध ( Relation between continuity and differentiability) :-

1. यदि कोई फलन संतत नही हो तो वह अवकलनीय भी नही होगा 2. प्रत्येक अवकलनीय फलन संतत होता है 3. प्रत्येक संतत फलन का अवकलनीय होना आवश्यक नही है 4. प्रत्येक बहुपदीय , चरघातांकी तथा अचर फलन वास्तविक रेखा पर सदैव अवकलनीय होते है 5. लघुगणकीय फलन , त्रिकोणमितिय फलन तथा प्रतिलोम त्रिकोणमितिय फलन अपने प्रान्त में अवकलनीय होते है 6. दो अवकलनीय फलनों का योग , अंतर , गुणनफल , भागफल (हर शून्य न हो ) तथा संयुक्त फलन भी सदैब अवकलनीय ही होता है

प्रथम सिद्धांत से अवकलन (Differentiation of first principal)

माना y = ƒ(𝓍) कोई फलन है ......(1)
यदि 𝓍 में अल्प वृद्धि δ𝓍 के संगत y में अल्पवृद्धि δy हो तो y + δy = ƒ(𝓍 + δ𝓍) .....(2) समीकरण (2) में से समीकरण (1) को घटाने पर δy = ƒ(𝓍 + δ𝓍) - ƒ(𝓍) दोनों और δ𝓍 का भाग देने पर

δy / δ𝓍
=
ƒ(𝓍 + δ𝓍) - ƒ(𝓍) / δ𝓍

दोनों ओर lim δ𝓍 → 0 लेने पर

limδ𝓍 → 0
δy / δ𝓍
=
limδ𝓍 → 0
ƒ(𝓍 + δ𝓍) - ƒ(𝓍) / δ𝓍
dy / d𝓍
=
limδ𝓍 → 0
ƒ(𝓍 + δ𝓍) - ƒ(𝓍) / δ𝓍
.....(3)

समीकरण (3) 𝓍 के सापेक्ष y के अवकलज या अवकल गुणांक (derivative or differential coefficient) को व्यक्त करती है
उपरोक्त प्रक्रिया से y का 𝓍 के सापेक्ष अवकलज ज्ञात करना "प्रथम सिद्धांत से अवकलन" (Differentiation of first principal) कहलाता है

टिप्पणी :

(I)
dy / d𝓍
एक भिन्न नही है |
dy / d𝓍
≠ dy ÷ d𝓍
(II)
dy / d𝓍
को y1 या y' भी लिखा जा सकता है

अवकलन के मूल प्रमेय ( Fundamental theorems on differentiation)

1. किसी भी अचर राशि का अवकलज शून्य होता है

माना y = ƒ(𝓍) = C(अचर)
y + δy = C ( फलन अचर है )
δy = 0

δy / δ𝓍
= 0
dy / d𝓍
=
limδ𝓍 → 0
δy / δ𝓍
= 0

2. एक अचर राशि तथा किसी फलन के गुणनफल का अवकलज उस राशि और फलन के अवकलज के गुणनफल के बराबर होता है

y = kƒ(𝓍)
y + δy = kƒ(𝓍 + δ𝓍)
δy = k [ ƒ(𝓍 + δ𝓍) - ƒ(𝓍) ]

δy / δ𝓍
= k[
ƒ(𝓍 + δ𝓍) - ƒ(𝓍) / δ𝓍
]
dy / d𝓍
=
limδ𝓍 → 0
δy / δ𝓍
dy / d𝓍
= k
limδ𝓍 → 0
[
ƒ(𝓍 + δ𝓍) - ƒ(𝓍) / δ𝓍
]
dy / d𝓍
= k
d / d𝓍
ƒ(𝓍)

3. फलनों के बीजीय योग (या अंतर) का अवकलज इन फलनों के अवकलजों के बीजीय योग (या अंतर) के बराबर होता है

माना की u,v,w ... आदि 𝓍 के फलन है और 𝓍 में अल्प वृद्धि δ𝓍 के संगत y,u,v,w .... में वृद्धियां क्रमशः δy,δu,δv,δw .... है

y = u + v + w .....
y + δy = (u + δu) + (v + δv) + (w + δw) + .....
δy = δu + δv + δw + .....
dy / d𝓍
=
limδ𝓍 → 0
δy / δ𝓍
dy / d𝓍
=
limδ𝓍 → 0
[
δu / δ𝓍
+
δv / δ𝓍
+
δw / δ𝓍
]
dy / d𝓍
=
du / d𝓍
+
dv / d𝓍
+
dw / d𝓍

4. दो फलनों के गुणनफल का अवकलज

माना कि u व v, 𝓍 के अवकलनीय फलन है
माना कि y = u.v यह भी माना की 𝓍 में अल्पवृद्धि δ𝓍 के संगत y,u,v में वृद्धियों क्रमशः δy,δu,δv है तब y + δy = (u + δu).(v + δv) δy = (u + δu).(v + δv) - u.v δy = uδv + vδu + δu.δv

δy / δ𝓍
= u.
δv / δ𝓍
+ v
δu. / δ𝓍
+
δu.δv / δ𝓍
dy / d𝓍
=
limδ𝓍 → 0
δy / δ𝓍
dy / d𝓍
=
limδ𝓍 → 0
[u
δv / d𝓍
] +
limδ𝓍 → 0
[ v
δu / d𝓍
] +
limδ𝓍 → 0
δu.δv / d𝓍
dy / d𝓍
= U
dv / d𝓍
+ v
δu / δ𝓍

अत: दो फलनों के गुणनफल का अवकलज = (प्रथम फलन) x (द्वितीय फलन का अवकलज) + (द्वितीय फलन) x (प्रथम फलन का अवकलज)

5. दो फलनों के भागफल का अवकलज

माना की u व v, 𝓍 के दो अवकलनीय फलन है 𝓍 में अल्प वृद्धि δ𝓍 के संगत y,u,v में अल्प वृद्धियां क्रमशः δy,δu,δv है

माना कि y =
u / v
y + δy =
u + δu / v + δv
δy =
u + δu / v + δv
-
u / v
δy =
(u + δu).v - u.(v + δv) / (v + δv).v
δy =
vδu - u.δv / v.(v + δv)
δy / δ𝓍
=
v.δu/δ𝓍 - u.δv/δ𝓍 / v.(v + δv)
limδ𝓍 → 0
δy / δ𝓍
=
limδ𝓍 → 0
v.δu/δ𝓍 - u.δv/δ𝓍 / v.(v + δv)
dy / d𝓍
=
v.du/d𝓍 - u.dv/d𝓍 / v2
अत: दो फलनों के भागफल का अवकलज =
हर x (अंश का अवकलज) - अंश x (हर का अवकलज) / हर2

फलन के फलन का अवकलज - श्रंखला नियम ( Derivative of a function of function-chain rule)

माना कि y = ƒ(u) तथा u = Φ(𝓍) अर्थात् y,u का फलन है और u स्वयं 𝓍 का फलन है | माना की स्वतंत्र चर 𝓍 में वृद्धि δ𝓍 के संगत u में वृद्धि δu के संगत y में वृद्धि δy है तब

δy / δ𝓍
=
δy / δu
.
δu / δ𝓍
अब यदि δ𝓍 → 0 तब δu → 0
limδ𝓍 → 0
δy / δ𝓍
=
limδ𝓍 → 0
δy / δu
.
limδ𝓍 → 0
δu / δ𝓍
dy / d𝓍
=
dy / du
.
du / d𝓍
व्यपकीकरण यदि y = ƒ(u), u = Φ(v) , v = Ψ(w) तथा w = F(𝓍)
dy / d𝓍
=
dy / du
.
du / dv
.
dv / dw
.
dw / d𝓍

लघुगणकीय अवकलन ( Logarithmic differentiation )

जब दिया गया फलन [ƒ(𝓍)]Φ(𝓍) के रूप में हो अर्थात् एक फलन की घात दूसरा फलन हो या फलन जटिल गुणनखंडो का गुणनफल हो तो फलन का लघुगणक लेकर अवकलन किया जाता है

माना कि y = uv { जहाँ u व v,𝓍 के फलन है }
दोनों ओर log लेने पर log(y) = vlog(u) 𝓍 के सापेक्ष अवकलन करने पर
1 / y
.
dy / d𝓍
= v.
1 / u
.
du / d𝓍
+ (log u)
dv / d𝓍
dy / d𝓍
= y[
v / u
.
du / d𝓍
+ (log u)
dv / d𝓍
]
dy / d𝓍
= uv[
v / u
.
du / d𝓍
+ (log u)
dv / d𝓍
]

अस्पष्ट फलनों का अवकलन ( Differential of implicit functions )

यदि किसी समीकरण में 𝓍 एवं y दोनों चर हो परन्तु y को x के रूप में या x को y के रूप में व्यक्त नही किया जा सके तो ऐसे फलन अस्पष्ट फलन कहलाते है

प्राचलिक समीकरण और उनके अवकलज ( Parameter functions and their derivatives )

प्राचल (Parameter) :- जब 𝓍 तथा y दोनों किसी तीसरी चर राशि के पदों में व्यक्त किये जाते है , जैसे 𝓍 = a cost , y = a sin(t) तो इस तीसरी चर राशि t को प्राचल कहते है तथा इस प्रकार के समीकरण प्राचलिक समीकरण (Parameter equation) कहलाते है |
इस प्रकार यदि 𝓍 = ƒ(t) , y = Φ(t) हो तो हम प्राचल को बिना विलोपित किये , dy/dx का मान निम्न सूत्र से ज्ञात कर सकते है :

dy / d𝓍
=
dy/dt / d𝓍/dt
=
प्राचल t के सापेक्ष y का अवकलज / प्राचल t के सापेक्ष 𝓍 का अवकलज

एक फलन का दूसरे फलन के सापेक्ष अवकलन ( Derivative of a function with respect to another function)

माना फलन ƒ(𝓍) का दूसरे फलन g(𝓍) के सापेक्ष अवकलन ज्ञात करने के लिए हम मान लेते है कि y = ƒ(𝓍) तथा z = g(𝓍)

dy / d𝓍
= ƒ'(𝓍)
dz / d𝓍
= g'(𝓍)
y का z के सापेक्ष अवकलन
dy / dz
=
dy/d𝓍 / dz/d𝓍
=
ƒ'(𝓍) / g'(𝓍)

द्वितीय क्रम के अवकलज (Second order derivativea)

हम जानते है कि यदि y चर 𝓍 का अवकलनीय फलन है , तो इसका अवकलन dy/d𝓍 ज्ञात कर सकते है जो कि इसका प्रथम क्रम का अवकलज कहलाता है
यदि dy/d𝓍 पुन: चर 𝓍 का अवकलनीय फलन है तो हम इसका भी अवकलन d/d𝓍(dy/d𝓍) ज्ञात कर सकते है जो कि y का 𝓍 के सापेक्ष द्वितीय क्रम का अवकलज कहलाता है , और d2y/d𝓍2 द्वारा निरुपित किया जाता है
यदि y = ƒ(𝓍) है तो द्वितीय क्रम के अवकलज को d2y/d𝓍2 या D2(y) या y2 से निरुपित किया जाता है

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