Number System Basics Formulas, Questions, Tricks

Number System Basic formula

Number System (संख्या पद्धति) Formulas, Questions, Tricks, PDF Download All information

वह पद्धति जिसमें विभिन्न संख्या और उनके गुणन का अध्ययन किया जाता है अथवा किसी भौतिक राशि के परिणामों को बोध कराने के लिए जिस पद्धति का प्रयोग किया जाता हैं। , “संख्या पद्धति” कहलाती है।

संख्याओं के प्रकार (Type Of Number System In Hindi) :-

प्राकृत संख्याएं :- 1,2,3,4,5,6,7,8............∞
पूर्ण संख्याएं :- 0,1,2,3,4,5,6,7,8...........
पूर्णाक संख्याएं :- -∞. . . . -6,-5,-4,-3,-2,-1,0,1,2,3,4,5,6 . . . .∞
सम संख्याएं :- 2,4,6,8,10,12 . . . . . . . ∞ आदि
विषम संख्याएं :- 1,3,5,7,17,21. . . . . . .∞ आदि
भाज्य संख्याएं :- 4,12,16,21,25 . . . . . . ∞ आदि
अभाज्य संख्याएं :- 2,3,5,7,11,13, . . . .. . .∞ आदि
परिमेय संख्याएं :- 3/5 , 7/9 . . . . . .आदि
अपरिमेय संख्याएं :- √5 आदि
वास्तविक संख्याएं :- 227, π, 2,3, 217 . . . . . .आदि

परिभाषाएं :-

✻ प्राकृत संख्याएँ (Natural Numbers) : जिन संख्याओं का प्रयोग वस्तुओं को गिनने के लिए किया जाता है, उन्हें गणन संख्याएँ या ‘प्राकृत संख्याएँ’ कहते हैं। प्राकृतिक संख्या को N से लिखते हैं।
जैसे- 1, 2, 3, 4, 5,6,7,8,9,10,11,12 . . . . . . . ∞

प्राकृतिक संख्याओं के गुण (properties of natural numbers in hindi) :-

दो प्राकृतिक संख्याओं का योगफल सदैव प्राकृतिक संख्या ही होता है।
उदाहरण :– 4 + 3 = 7 एक प्राकृतिक संख्या है।
दो प्राकृतिक संख्याओं का घटाव एक प्राकृतिक संख्या हो यह जरूरी नहीं है।
उदाहरण : 8 – 3 = 5 एक प्राकृतिक संख्या है जबकि 4 – 6 = -2 एक प्राकृतिक संख्या नहीं है।
इसी प्रकार दो प्राकृतिक संख्याओं का गुणनफल एक प्राकृतिक संख्या ही होता है जबकि भागफल एक प्राकृतिक संख्या हो यह जरूरी नहीं है।


✻ पूर्ण संख्याएँ (Whole Numbers) : प्राकृत संख्याओं के समुच्चय में शून्य को मिलाने पर जो संख्याएँ प्राप्त होती हैं उन्हें ‘पूर्ण संख्याएँ’ कहते हैं। पूर्ण संख्या को W से लिखते हैं।
जैसे- 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12, . . . . . . . ∞

नोट:- सभी पूर्ण संख्याएं, धनात्मक पूर्णांक, परिमेय एवं वास्तविक होती है। सभी प्राकृतिक संख्याएं पूर्ण संख्या है, लेकिन सभी पूर्ण संख्या प्राकृतिक संख्या नहीं है।
जैसे :- 0


✻ पूर्णांक संख्याएँ (Integers) : प्राकृत संख्याओं में शून्य एवं ऋणात्मक संख्याओं को मिलाने पर जो संख्याएँ प्राप्त होती हैं, उन्हें ‘पूर्णांक संख्याएँ’ कहते हैं। पूर्णांक संख्याएँ को Z से लिखते हैं।
जैसे- ∞ . . . . .-6, -5, -4, -3, -2, -1, 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, . . . . . . . .∞
{…..-3,-2,-1,0,1,2,3…..} पूर्णांक संख्याओं का सेट है। इनमें 4.56, 6.76…आदि संख्या शामिल नहीं है।


✻ सम संख्याएँ (Even Numbers) : वे संख्याएँ जो 2 से पूर्णतः विभाजित होती हैं उन्हें ‘सम संख्याएँ’ कहते हैं। सम संख्याओं को E से लिखते है।
जैसे - 2, 4, 6, 8, 10, 12, 14, 16, 18, . . . ∞


✻ विषम संख्याएँ (Odd Numbers) : वे संख्याएँ जो 2 से पूर्णतः विभाजित नहीं होती हैं उन्हें ‘ विषम संख्याएँ ’ कहते हैं। विषम संख्याओं को O से लिखते है।
जैसे- 1, 3, 5, 7, 9, 11, 13, 15, 17, 29, 39 , . . . . ∞


✻ भाज्य संख्याएँ (Composite Numbers) : वे संख्याएँ जो स्वयं और 1 के अलावा अन्य किसी संख्या से पूर्णतः विभाजित हो जाती हैं ,उन्हें "भाज्य संख्याएँ" कहते हैं।
जैसे- 4, 6, 8, 9, 10, 12, 14, 15 . . . . . . . .


✻ अभाज्य संख्याएँ (Prime Numbers) : वे संख्याएँ जो स्वयं और 1 के अलावा अन्य किसी संख्या से विभक्त नहीं होती हैं उन्हें ‘अभाज्य संख्याएँ’ कहते हैं।
जैसे- 2, 3, 7, 11, 13, 17 , 19, 23 . . . . . . .

नोट :- '1' न तो भाज्य संख्या या है और न ही अभाज्य संख्या

✻ असहभाज्य संख्याएँ (Co-Prime Numbers) : जब दो या दो से अधिक संख्याओं में कोई भी उभयनिष्ठ गुणनखंड न हो अथवा जिसका म.स. 1 हो ,वे एक साथ ‘सह-अभाज्य संख्याएँ’ कहलाती हैं।
जैसे- (2,5) , (4,9) , (12,25) ,(8,9,12) , ।


✻ युग्म-अभाज्य संख्याएँ : ऐसी अभाज्य संख्याएँ जिनके बीच का अंतर 2 हो ‘युग्म-अभाज्य संख्याएँ’ कहलाती हैं।
जैसे- 11, 13


✻ परिमेय संख्याएँ (Rational Numbers) : वे संख्याएँ जिन्हें p/ q के रूप में लिखा जा सकता है ,जहाँ p तथा q पूर्णांक हैं एवं q ≠ 0, ‘परिमेय संख्याएँ’ कहलाती हैं । परिमेय संख्याओं को Q से लिखते करते है।
जैसे- 3/ 8 , 7/ 11 , 8, 1.20 , 0 , . . . . . . . ।

परिमेय संख्या का सूत्र :-

सभी पूर्णांक z, परिमेय संख्याएं होते हैं क्योंकि इन्हें z/1 के रुप मे लिखा जा सकता है।
Note :- परिमेय संख्याओं का योग,अंतर, गुणनफल तथा भागफल एक परिमेय संख्या ही होती है। (जबकि 0 से विभाजित ना किया जाये)
✻ अपरिमेय संख्याएँ (Irrational Numbers) : वे संख्याएँ जिन्हें p/ q के रूप में नहीं लिखा जा सकता ,जहाँ p तथा q पूर्णांक हैं एवं q ≠ 0 अपरिमेय संख्याएँ’ कहलाती हैं ।
जैसे - √7, √13 , √17 , π आदि

✻ वास्तविक संख्याएँ (Real Numbers) : सभी परिमेय तथा अपरिमेय संख्याएँ ‘वास्तविक संख्याएँ’ कहलाती हैं।
जैसे - 4 , 6, 2 ,√3, 10 , 15, -2 आदि ।

✻ काल्पनिक संख्याएँ (Imaginary Numbers) : ऋणात्मक संख्यायों का वर्गमूल लेने पर जो संख्याएं बनती हैं , उन्हें काल्पनिक संख्याएं कहते हैं ।
जैसे -√ - 2, √ - 5

परीक्षाओं में संख्याओं से पूछें जाने वाले महत्वपूर्ण बिंदु :-

संख्या 1 न तो भाज्य है और न अभाज्य संख्या है ।
2 सबसे छोटी अभाज्य संख्या है
2 एक मात्र ऐसी सम संख्या है,जो रूढ़ संख्या भी है।
3 सबसे छोटी विषम अभाज्य संख्या है।
4 सबसे छोटी भाज्य संख्या है।
9 सबसे छोटी विषम भाज्य संख्या है।
1 से 100 तक कुल अभाज्य संख्या -25
1 से 50 तक कुल अभाज्य संख्या -15
1 से 25 तक कुल अभाज्य संख्या -9
25 से 50 तक कुल अभाज्य संख्या -6
50 से 100 तक कुल अभाज्य संख्या -10
अंक 0 से 9 तक होते हैं अतः अंको की संख्या 10 होती है
संख्या 1 से शुरु होती है संख्या अनंत होती है
एक अंकीय संख्या 9 होती है
दो अंकीय संख्या 90 होती है
तीन अंकीय संख्या 900 होती हैं
चार अंकीय संख्या 9000 होती हैं
केवल 2 ऐसी संख्या जो अभाज्य व सम संख्या दोनों है ।
वे दो अभाज्य संख्याएँ जिनके बीच केवल एक सम संख्या होती है , अभाज्य जोड़ा कहलाती है , जैसे - 5 व 7 , 3 व 5 , 11 व 13 , 17 व 19 , 29 व 31 , आदि ।
सभी प्राकृत संख्याएँ , पूर्ण , पूर्णाक ,वास्तविक एवं परिमेय होती हैं ।
सभी पूर्ण संख्याएँ , पूर्णांक , वास्तविक एवं परिमेय होती हैं ।
सभी पूर्णाक , वास्तविक एवं परिमेय होते हैं ।
सभी पूर्णांक , परिमेय एवं अपरिमेय संख्याएँ वास्तविक होती हैं ।
अभाज्य ( रूढ़ ) एवं यौगिक , सम तथा विषम संख्या होती हैं। सभी पूर्णाक , परिमेय एवं अपरिमेय संख्याएँ धनात्मक एवं ऋणात्मक दोनों होती हैं ।
प्राकृत ( अभाज्य , यौगिक , सम एवं विषम ) एवं पूर्ण संख्याएँ कभी भी ऋणात्मक नहीं होती हैं ।
भिन्न संख्याएँ परिमेय होती हैं ।
2 के अतिरिक्त सभी अभाज्य ( रूढ़ ) संख्याएँ विषम होती हैं ।
0 ऋणात्मक एवं धनात्मक दोनों नहीं है ।
शून्य ( 0 ) में किसी भी संख्या का भाग देने पर शून्य आता है . अतः
0/ a = 0 ( यहाँ पर a वास्तविक संख्या है ) ।
किसी भी संख्या में शून्य का भाग देना परिभाषित नहीं है अर्थात् यदि किसी भी संख्या में शून्य का भाग देते हैं , तो भागफल अनन्त ( Infinite या Non Defined ) आता है . अतः
a/ 0 = ∞ ( Infinite ) ।
किसी संख्या में किसी अंक का जो वास्तविक मान होता है , उसे जातीय मान कहते हैं , जैसे - 5283 में 2 का जातीय मान 2 है ।
किसी संख्या में किसी अंक का स्थान के अनुसार जो मान होता है उसे उसका स्थानीय मान कहते हैं , जैसे - 5283 में 2 का स्थानीय मान 200 है ।
दो परिमेय संख्याओं का योगफल अथवा गुणनफल सदैव एक परिमेय संख्या होती है ।
दो अपरिमेय संख्याओं का योगफल अथवा गुणनफल कभी परिमेय संख्या तथा कभी अपरिमेय संख्या होता है ।
एक परिमेय संख्या तथा एक अपरिमेय संख्या का गुणनफल अथवा योगफल सदैव एक अपरिमेय संख्या होता है ।
π एक अपरिमेय संख्या है ।
दो परिमेय संख्याओं या दो अपरिमेय संख्याओं के बीच अनन्त परिमेय संख्याएँ या अनन्त अपरिमेय संख्याएँ हो सकती हैं ।
परिमेय संख्या को दशमलव निरूपण या तो सीमित होता है या असीमित आवर्ती होता है ,
जैसे :- 3/ 4 = 0.75 ( सीमित )
11/ 3 = 3.666 ( असीमित आवर्ती )।
अपरिमेय संख्या का दशमलव निरूपण अनन्त व अनावर्ती होता है , जैसे - √3 , √2 ।
प्रत्येक सम संख्या का वर्ग एक सम संख्या होती है तथा प्रत्येक विषम संख्या का वर्ग एक विषम संख्या होती है ।

प्रथम n प्राकृतिक संख्याओं का योग ( SnE ) = n (n + 1 ) / 2 होता है ।
प्रथम n सम संख्याओं का योग SE = n ( n + 1 ) होता है । प्रथम n विषम संख्याओं का योग S0 = n2 होता है । यदि दशमलव संख्याएँ 0.x तथा 0.xy के रूप में दी होती हैं , तो इन्हें परिमेय संख्या p/ q के रूप में निम्नवत् बदलते हैं - 0.x = x/ 10 तथा 0.xy = xy/ 100 अर्थात् दशमलव के बाद 1 अंक है , तो 10 का , दो अंक हैं , तो 100 का , तीन अंक हैं , तो 1000 का भाग देने पर दशमलव संख्या परिमेय ( भिन्न ) बन जाती है ।
यदि अशान्त ( अनन्त ) आवर्ती दशमलव संख्याएँ 0.x तथा xy के रूप की हैं , तो इन्हें परिमेय संख्या p/ q के रूप में निम्नवत् बदलते हैं - 0.x = x/ 9 तथा 0.xx = xx/ 99 अर्थात् दशमलव के बाद 1 अंक बार सहित हो , तो 9 का , दो अंक बार सहित हों तो 99 का , तीन अंक हों तो 999 का भाग करके दशमलव संख्या परिमेय में बदल जाती है । 1 से 100 तक की संख्याओ में शून्य के अंक 11 होते हैं
1 से 100 तक की संख्याओ में एक के अंक 21होते हैं
1 से 100 तक की संख्याओ में 2 से 9 तक प्रत्येक अंक 20 बार आते है
1 से 100 तक की संख्याओ में कुल अंक 192 होते हैं

याद रखने योग्य सूत्र :-

✻ किसी भी पहाड़े का योग उस संख्या ( पहाड़े ) के 55 गुने के बराबर होता है ।
अर्थात् n के पहाड़े का योगफल = 55n
✻ 1 से n तक के पहाड़े का योगफल = 55 [ n (n + 1 ) / 2 ]
✻ प्राकृतिक संख्याओं के वर्गों का योगफल अर्थात् 12 + 22 + 32 + . . . + n2= n/ 6 ( n + 1 ) ( 2n + 1 ) होता है ।
✻ n प्राकृतिक संख्याओं के घनों का योगफल अर्थात् 13 + 23 + 33 + 43 + . . . + n3 = [ n (n + 1 )/ 2 ]2 होता है ।
✻ n प्राकृतिक सम संख्याओं के वर्गों का योगफल अर्थात् 22 + 42 + 62+ . . . + n2 = 2n/ 3 ( n + 1 ) ( 2n + 1 )
✻n प्राकृतिक सम संख्याओं के घनों का योगफल अर्थात् 23 + 43 + 63 + . . . + n3 = 2n2 ( n + 1 )2 आदि ।

Number System Basic formula :-

1. 1 + 2 + 3 + 4 + 5 + … + n = n(n + 1)/2
2. (12 + 22 + 32 + ..... + n2) = n ( n + 1 ) (2n + 1) / 6
3. (13 + 23 + 33 + ..... + n3) = (n(n + 1)/ 2)2
4. Sum of first n odd numbers = n2
5. Sum of first n even numbers = n (n + 1)

More Formula

1. (a + b)(a - b) = (a2 - b2)
2. (a + b)2 = (a2 + b2 + 2ab)
3. (a - b)2 = (a2 + b2 - 2ab)
4. (a + b + c)2 = a2 + b2 + c2 + 2(ab + bc + ca)
5. (a3 + b3) = (a + b)(a2 - ab + b2)
6. (a3 - b3) = (a - b)(a2 + ab + b2)
7. (a3 + b3 + c3 - 3abc) = (a + b + c)(a2 + b2 + c2 - ab - bc - ac)
8. When a + b + c = 0, then a3 + b3 + c3 = 3abc
9. (a + b)n = an + (nC1)an-1b + (nC2)an-2b2 + … + (nCn-1)abn-1 + bn

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पीडीएफ को देखें :-

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170 GK One Liner Question and Answer in Hindi
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