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इस लेख में हमारे द्वारा परिमेय संख्या की परिभाषा , सूत्र , प्रकार , उदाहरण , गुणधर्म , महत्वपूर्ण तथ्य तथा महत्वपूर्ण प्रश्नोतरी दिए गए है यह लेख कक्षा 8 NCERT अध्याय 1 के लिए महत्वपूर्ण है कक्षा 7,8,9,10 NCERT तथा विभिन्न Competition Exams के लिए भी यह लेख फायदेमंद है
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परिमेय संख्या ( Rational Number ) किसे कहते है :-
परिमेय संख्या ( Rational Number ) की परिभाषा के अनुसार , वह संख्या जिसे p/q के रूप में लिखा जा सकें , जहाँ p तथा q पूर्णांक हो तथा q ≠ 0 हो उसे परिमेय संख्या कहते है p को अंश तथा q को हर कहा जाता है
परिमेय संख्याओ से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य | Pariey Sankhya Important facts :-
1. परिमेय संख्याएँ योग व्यकलन और गुणन की संक्रियाओ के अंतर्गत संवृत है
2. परिमेय संख्याओ के लिए योग और गुणन की संक्रियाएं
3. परिमेय संख्याओ के लिए परिमेय संख्या शून्य योज्य तत्समक है
4. परिमेय संख्याओ के लिए परिमेय संख्या 1 गुणात्मक तत्समक है
7. परिमेय संख्याओ को वितरकता : परिमेय संख्याएँ a , b और c के लिए
8. परिमेय संख्याओ को संख्या रेखा पर निरुपित किया जा सकता है
9. दी हुई दो परिमेय संख्याओ के मध्य अपरिमित परिमेय संख्याएँ होती है दो परिमेय संख्याओ के मध्य परिमेय संख्याएँ ज्ञात करने में माध्य को अवधारणा सहायक है
10. शून्य एक परिमेय संख्या है
11. शून्य का कोई व्युत्क्रम नही होता है
13. सभी प्राकृतिक संख्याएँ , परिमेय संख्याएँ होती है
14. सभी पूर्ण संख्याएँ , परिमेय संख्याएँ होती है
15. सभी भिन्न परिमेय संख्याएँ होती है
16. जब दो परिमेय संख्याएँ संख्यात्मक मान में बराबर हो तो उन्हें परस्पर समतुल्य परिमेय संख्या कहा जाता है
17. वे परिमेय संख्याएँ जिनके अंश तथा हर दोनों के संख्यात्मक मान धनात्मक हो , उन्हें धनात्मक परिमेय संख्या कहते है
18. वे परिमेय संख्याएँ जिनके अंश तथा हर में से कोई एक का संख्यात्मक मान ऋणात्मक हो , उन्हें ऋणात्मक परिमेय संख्या कहते है
19. परिमेय संख्याएँ 1 तथा -1 का व्युत्क्रम भी क्रमश: 1 तथा -1 ही होता है
परिमेय संख्याओ के गुणधर्म || Parimay Sankhya Properties || :-
(A) परिमेय संख्याओ के लिए क्रम विनिमय नियम का सत्यापन :-
1. परिमेय संख्याओ का योग का सूत्र :-
दो परिमेय संख्याओ को किसी भी क्रम में जोड़ा जा सकता है अर्थात् परिमेय संख्याओ के लिए योग क्रम विनिमेय है
अत: किन्ही दो परिमेय संख्याओ a तथा b के लिए -
2. परिमेय संख्याओ का व्यकलन ( घटाना ) :-
परिमेय संख्याओ को किसी भी क्रम में घटाया नही जा सकता है अर्थात् परिमेय संख्याओ के लिए व्यकलन क्रम विनिमेय नहीं है
अत: किन्ही दो परिमेय संख्याओ a तथा b के लिए
3. परिमेय संख्याओ का गुणन :-
परिमेय संख्याओ को किसी भी क्रम में गुणा किया जा सकता है अर्थात् परिमेय संख्याओ के लिए गुणन क्रम विनिमेय है
अत: किन्ही दो परिमेय संख्याओ a तथा b के लिए
4. परिमेय संख्याओ का भाग :-
परिमेय संख्याओ को किसी भी क्रम में भाग नही किया जा सकता है अर्थात् परिमेय संख्याओ के लिए भाग संक्रिया क्रम विनिमेय नहीं है
अत: किन्ही दो परिमेय संख्याओ a तथा b के लिए
(B) परिमेय संख्याओ के लिए साहचर्य नियम का सत्यापन :-
1. योग :-
परिमेय संख्याएँ योग के लिए साहचर्य है अर्थात् किन्ही तीन परिमेय संख्याओ a , b तथा c के लिए -
2. व्यकलन :-
परिमेय संख्याओ के लिए व्यकलन साहचर्य नही है अर्थात् किन्ही तीन परिमेय संख्याओ a , b तथा c के लिए -
3. गुणन :-
परिमेय संख्याओ के लिए गुणन साहचर्य है अर्थात् किन्ही तीन परिमेय संख्याओ a , b तथा c के लिए -
4. भाग :-
परिमेय संख्याओ के लिए भाग साहचर्य नही है अर्थात् किन्ही तीन परिमेय संख्याओ a , b तथा c के लिए -
(C) परिमेय संख्याओ के लिए गुणक की योग पर वितरकता :-
किसी तीन परिमेय संख्याओ a , b तथा c के लिए
(1) a ( b + c ) = ab + ac
(2) a ( b - c ) = ab - ac
परिमेय संख्या का सूत्र ( Parimay Sankhya Formula ) :-
परिमेय संख्या के प्रकार ( Parimey Sankhya ke parkar ) :-
यहाँ हम जानेगें कि परिमेय संख्या कितने प्रकार की होती है ?
परिमेय संख्या 2 प्रकार की होती है जिनकी परिभाषा तथा उदाहरण सहित वर्णन निम्न प्रकार है -
1. धनात्मक परिमेय संख्या :-
ऐसी परिमेय संख्या जिसका अंश तथा हर दोनों धनात्मक हो तो इस प्रकार की परिमेय संख्या , धनात्मक परिमेय संख्या कहलाती है |
धनात्मक परिमेय संख्या के उदाहरण :-
2. ऋणात्मक परिमेय संख्या :-
ऐसी परिमेय संख्या जिसका अंश तथा हर दोनों में से कोई एक ऋणात्मक हो तो इस प्रकार की परिमेय संख्या , ऋणात्मक परिमेय संख्या कहलाती है |
ऋणात्मक परिमेय संख्या के उदाहरण :-
परिमेय संख्या कैसे पहचाने ( Parimey Sankhya kaise pehchane ) :-
अंश / हर अर्थात् p/q के रूप में लिखी गई प्रत्येक भिन्न ( Fraction ) परिमेय संख्या होती है | यदि हर का मान शून्य नही हो अर्थात् q ≠ 0 तब उदाहरण के तौर पर -
4/9 एक परिमेय संख्या है क्योकि यह p/q के रूप में लिखी गई है और हर , शून्य के बराबर नही है |
11/0 एक परिमेय संख्या है क्योकि यह p/q के रूप में लिखी गई है परन्तु यहाँ हर , शून्य के बराबर है जो कि परिमेय संख्या की अतिआवश्यक शर्त ( q ≠ 0 ) के विपरीत है |
परिमेय संख्या के उदाहरण ( Parimey Sankhya Examples ) :-
p/q के रूप में लिखी गई प्रत्येक भिन्न , जहाँ q ≠ 0 हो , परिमेय संख्या होती है | परिमेय संख्या के उदाहरण निम्न प्रकार है -
परिमेय संख्या से सम्बंधित प्रश्नोतरी ( Parimey Sankhya Question and Answer ) :-
1. क्या 0 परिमेय संख्या है ?
Ans. - शून्य एक परिमेय संख्या है , क्योकि इसे अंश/हर अर्थात् p/q के रूप में लिखा जा सकता है |
2. क्या π एक परिमेय संख्या है ?
Ans. - π एक परिमेय संख्या नही है जबकि π का मान 22/7 एक परिमेय संख्या है
π एक अपरिमेय संख्या है
3. परिमेय संख्या क्या होती है ?
Ans. - भिन्न के रूप में लिखी गई प्रत्येक संख्या एक परिमेय संख्या होती है जहाँ हर शून्य के तुल्य नही होती है |
4. परिमेय संख्या का सूत्र बताइए ?
Ans. - परिमेय संख्या का सूत्र = p/q जहाँ q ≠ 0
5. क्या 13/0 परिमेय संख्या है ?
Ans. - 13/0 एक परिमेय संख्या नही है क्योकि यह p/q के रूप में तो है परन्तु यहाँ हर का मान शून्य है |
परिमेय संख्या - शब्दावली :-
Ans. - Rational Number in hindi - परिमेय संख्या
परिमेय संख्याओ के योग में शून्य की भूमिका ( शून्य तत्समक )
किसी परिमेय संख्या a के लिए
a + 0 = a तथा 0 + a = a
अत: हम कह सकते है कि परिमेय संख्याओ के लिए शून्य तत्समक कहलाता है
परिमेय संख्याओ में 1 की भूमिका ( गुणात्मक तत्समक ) :-
किसी परिमेय संख्या a के लिए
a x 1 = a तथा 1 x a = a
अत: हम कह सकते है कि 1, परिमेय संख्याओ के लिए एक गुणात्मक तत्समक कहलाता है
परिमेय संख्याओ के लिए योज्य प्रतिलोम :-
किसी परिमेय संख्या के लिए , उसी परिमेय संख्या के विपरीत चिन्ह वाली संख्या को उस परिमेय संख्या का योज्य प्रतिलोम कहते है
किसी परिमेय संख्या a/b के लिए -
अत: हम कह सकते है कि प्रथम समीकरण में
द्वितीय समीकरण में
परिमेय संख्याओ के लिए गुणात्मक प्रतिलोम :-
किसी परिमेय संख्या का व्युत्क्रम ( उल्टा ) ही उसका गुणात्मक प्रतिलोम कहलाता है
दो परिमेय संख्याओ के बीच परिमेय संख्याएँ ज्ञात करना :-
यह हम मुख्यत: दो विधियों द्वारा ज्ञात कर सकते है :-
प्रथम विधि :- इस विधि को हम एक उदाहरण की सहायता से समझते है
इस विधि में सर्वप्रथम हम दोनों भिन्नों के हर के मान को बराबर करते है
द्वितीय विधि :-
पहली परिमेय संख्या :-
सर्वप्रथम हम दोनों संख्याओ का योग ज्ञात करते है
अब इस योग को 2 से भाजित करते है
दूसरी परिमेय संख्या :-
अब हम इनमे से किन्ही दो क्रमागत परिमेय संख्याओ का चयन करते है
अब इस योग को 2 से भाजित करते है
परिमेय संख्याओ में बड़ा व छोटा ज्ञात करना :-
हल :- बड़ी परिमेय संख्या ज्ञात करने के लिए हम सर्वप्रथम हरों के मान को बराबर करते है
परिमेय संख्याओ का संख्या रेखा पर निरूपण :-
परिमेय संख्याओ का संख्या रेखा पर निरूपण को हम दो उदाहरण की सहायता से समझते है -
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