gun Sandhi ki paribhasha,niyam,sutra,parkar,apvad,300+ Examples
गुण संधि की परिभाषा :-
जब दो भिन्न - भिन्न ध्वनि वाले स्वरों का मेल होता है तथा उनकी संधि से उत्पन्न नया स्वर उन दोनों से भिन्न गुण वाला होता है , तो ऐसी संधि गुण संधि कहलाती है |
गुण संधि में जब अ / आ तथा इ / ई स्वरों का मेल होता है तो 'ए' बनता है तथा अ / आ तथा उ / ऊ स्वरों के मेल से 'ओ' एवं अ / आ तथा 'ऋ ' के मेल से 'अर्' हो जाता है |
उदाहरण - स्व + इच्छा = स्वेच्छा
वीर + उचित = वीरोचित
गुण संधि के नियम :-
(1) अ / आ + इ / ई = ए
(2) अ / आ + उ / ऊ = ओ
(3) अ / आ + ऋ = अर्
गुण संधि के प्रकार / भेद या विभिन्न रूप निम्न प्रकार है :-
(1) अ + इ = ए
(2) अ + ई = ए
(3) आ + इ = ए
(4) आ + ई = ए
(5) अ + उ = ओ
(6) अ + ऊ = ओ
(7) आ + उ = ओ
(8) आ + ऊ = ओ
(9) अ + ऋ = अर्
(10) आ + ऋ = अर्
अब हम इन सभी प्रकारों का विस्तार पूर्वक उदाहरण सहित अध्ययन करेंगे |
गुण संधि के 300+ उदाहरण :-
यहाँ गुण संधि के 300+ उदाहरण दिये गये है जो गुण संधि के अभ्यास के लिए पर्याप्त है |
(1) अ + इ = ए
देव + इंद्र = देवेन्द्र
सुर + इंद्र = सुरेन्द्र
उप + इंद्र = उपेन्द्र
शुभ + इंद्र = शुभेन्द्र
गोप + इंद्र = गोपेन्द्र
विश्व + इंद्र = विश्वेन्द्र
अंत्य + इष्टि = अंत्येष्टि
जित + इन्द्रिय = जितेन्द्रिय
घ्राण + इन्द्रिय = घ्राणेन्द्रिय
भारत + इन्दु = भारतेन्दु
यादव + इन्दु = यादवेन्दु
पूर्ण + इन्दु = पूर्णेंदु
भोजन + इच्छुक = भोजनेच्छुक
हित + इच्छा = हितेच्छा
काम + इच्छा = कामेच्छा
इतर + इतर = इतरेतर
विवाह + इतर = विवाहेतर
वाच + इतर = वाचेतर
साहित्य + इतर = साहित्येतर
शुभ + इच्छुक = शुभेच्छु ( क का लोप होता है )
सोम + इंद्र = सोमेन्द्र
कृष्ण + इंद्र = कृष्णेंद्र
नर + इंद्र = नरेन्द्र
वीर + इंद्र = वीरेन्द्र
स्व + इच्छा = स्वेच्छा
सत्य + इंद्र = सत्येन्द्र
न + इष्ट = नेष्ट
न + इति = नेति
मत्स्य + इंद्र = मत्स्येन्द्र
कर्म + इन्द्रिय = कर्मेन्द्रिय
प्र + इषिति = प्रेषिती
भारत + इन्द्र = भारतेन्द्र
गज + इन्द्र = गजेन्द्र
नग + इन्द्र = नगेन्द्र
सोम + इन्द्र = सोमेन्द्र
प्र + इत = प्रेत
मृग + इन्द्र = मृगेन्द्र
मानव + इतर = मानवेतर
शुभ + इच्छा = शुभेच्छा
शब्द + इतर = शब्देतर
अल्प + इच्छा = अल्पेच्छा
शिक्षण + इतर = शिक्षणेतर
खग + इन्द्र = खगेन्द्र
नृप + इन्द्र = नृपेन्द्र
मानव + इन्द्र = मानवेन्द्र
बाल + इन्दु = बालेन्दु
राघव + इन्द्र = राघवेन्द्र
(2) अ + ई = ए
गोप + ईश = गोपेश
दिन + ईश = दिनेश
राम + ईश्वर = रामेश्वर
प्र + ईक्षक = प्रेक्षक
उप + ईक्षा = उपेक्षा
जीव + ईश = जीवेश
सोम + ईश = सोमेश
ज्ञान + ईश = ज्ञानेश
नर + ईश = नरेश
परम + ईश्वर = परमेश्वर
लोक + ईश = लोकेश
अंक + ईक्षण = अंकेक्षण
तप + ईश्वर = तपेश्वर
हृदय + ईश = हृदयेश
प्राण + ईश्वर = प्राणेश्वर
भव + ईश = भवेश
नाग + ईश = नागेश
गज + ईश = गजेश
परम + ईश = परमेश
विमल + ईश = विमलेश
सर्व + ईक्षण = सर्वेक्षण
सुर + ईश = सुरेश
खग + ईश = खगेश
थान + ईश्वर = थानेश्वर
अप + ईक्षा = अपेक्षा
सर्व + ईश्वर = सर्वेश्वर
योग + ईश्वर = योगेश्वर
देव + ईश = देवेश
एक + ईश्वर = एकेश्वर
ब्रज + ईश = ब्रजेश
सिद्ध + ईश्वर = सिद्धेश्वर
गण + ईश = गणेश
प्र + ईरित = प्रेरित
कमल + ईश = कमलेश
भुवन + ईश = भुवनेश
सर्व + ईश = सर्वेश
प्र + ईक्षा = प्रेक्षा
आनन्द + ईश्वर = आनन्देश्वर
धन + ईश = धनेश
भुवन + ईश्वर = भुवनेश्वर
हृषिक + ईश = हृषिकेश
(3) आ + इ = ए
महा + इन्द्र = महेन्द्र
राजा + इन्द्र = राजेन्द्र
रूपा + इन्द्र = रूपेंद्र
रसना + इन्द्रिय = रसनेन्द्रिय
सुधा + इन्दु = सुधेन्दु
प्रभा + इन्द्र = प्रभेन्द्र
रमा + इन्द्र = रमेन्द्र
यथा + इच्छा = यथेच्छ ( आ का लोप )
महा + इति = महेति
यथा + इष्ट = यथेष्ट
सुधा + इन्द्र = सुधेन्द्र
घृणा + इन्द्रिय = घृणेन्द्रिय
(4) आ + ई = ए
महा + ईश = महेश
राजा + ईश = राजेश
लंका + ईश = लंकेश
मिथिला + ईश = मिथिलेश
अलका + ईश = अलकेश
उमा + ईश = उमेश
गुड़ाका + ईश = गुड़ाकेश
रमा + ईश = रमेश
राका + ईश = राकेश
महा + ईश्वर = महेश्वर
द्वारका + ईश = द्वारकेश
कमला + ईश = कमलेश
नर्मदा + ईश्वर = नर्मदेश्वर
मथुरा + ईश = मथुरेश
(5) अ + उ = ओ
सूर्य + उदय = सूर्योदय
देव + उपम = देवोपम
मद + उन्मत्त = मदोन्मत्त
राजा + उचित = राजोचित
वेद + उक्त = वेदोक्त
पुरुष + उत्तम = पुरुषोत्तम
पूर्ण + उपमा = पूर्णोपमा
नील + उत्पल = नीलोत्पल
मानव + उचित = मानवोचित
जल + उदय = जलोदय
दीर्घ + उपल = दीर्घोपल
जीर्ण + उद्धार = जीर्णोद्धार
व्यंग्य + उक्ति = व्यंग्योक्ति
नव + उदित = नवोदित
रस + उत्पत्ति = रसोत्पत्ति
ग्राम + उत्थान = ग्रामोत्थान
यज्ञ + उपवीत = यज्ञोपवीत
हर्ष + उल्लास = हर्षोल्लास
सह + उदर = सहोदर
जन + उपयोगी = जनोपयोगी
हत + उत्साह = हतोत्साह
लम्ब + उदर = लम्बोदर
अवसर + उचित = अवसरोचित
उत्तर + उत्तर = उत्तरोत्तर
नर + उचित = नरोचित
हित + उपदेश = हितोपदेश
ग्राम + उदय =ग्रामोदय
साहित्य + उन्नति = साहित्योन्नति
नर + उत्तम = नरोत्तम
सर्व + उदय = सर्वोदय
अछूत + उद्धार = अछूतोद्धार
लोक + उपयोगी = लोकोपयोगी
परम + उत्सव = परमोत्सव
रोग + उपचार = रोगोपचार
प्राप्त + उदक = प्राप्तोदक
पुष्प + उपहार = पुष्पोपहार
प्राण + उत्सर्ग = प्राणोत्सर्ग
पतन + उन्मुख = पतनोन्मुख
अतिशय + उक्ति = अतिशयोक्ति
धीर + उदात्त = धीरोदात्त
दर्शन + उत्सुक = दर्शनोत्सुक
मास + उत्तम = मासोत्तम
नव + उत्पल = नवोत्पल
बाल + उचित = बालोचित
पद + उन्नति = पदोन्नति
चन्द्र + उदय = चन्द्रोदय
पूर्व + उदय = पूर्वोदय
लोक + उक्ति = लोकोक्ति
आद्य + उपान्त = आद्योपांत
भाग्य + उदय = भाग्योदय
मरण + उपरान्त = मरणोपरांत
प्रवेश + उत्सव = प्रवेशोत्सव
स + उद्देश्य = सोद्देश्य
नव + उत्थान = नवोत्थान
नव + उदय = नवोदय
धन + उपार्जन = धनोपार्जन
अन्य + उक्ति = अन्योक्ति
भय + उत्पादक = भयोत्पादक
पूर्व + उक्त्त = पूर्वोक्त्त
सांग + उपांग = सांगोपांग
स्वातंत्र्य + उत्तर = स्वातंत्र्योत्तर
हिम + उपल = हिमोपल
आन्नद + उत्कर्ष = आनंदोत्कर्ष
दुग्ध + उपयोगी = दुग्धोपयोगी
ईश + उपनिषद = ईशोपनिषद
दर्प + उक्ति = दर्पोक्ति
कथन + उपकथन = कथोपकथन
अन्य + उदर = अन्योदर
कठ + उपनिषद = कठोपनिषद
कर्म + उन्मुख = कर्मोन्मुख
गर्व + उन्नत = गर्वोन्नत
चित्र + उपम = चित्रोपम
छांदोग्य + उपनिषद = छांदोग्योपनिषद
चरम + उत्कृष्ट = चरमोत्कृष्ट
जल + उदर = जलोदर
दाम + उदर = दामोदर
देश + उपकार = देशोपकार
नत + उतर = नतोदर
नव + उन्मेष = नवोन्मेष
पश्चिम + उत्तर = पश्चिमोत्तर
प्रेम + उन्मत्त = प्रेमोन्मत्त
पुष्प + उत्सव = पुष्पोत्सव
पूर्व + उल्लिखित = पूर्वोल्लिखित
भाव + उद्दिप्त = भावोद्दीप्त
मद + उन्माद = मदोन्माद
पर + उपकार = परोपकार
वीर + उचित = वीरोचित
आत्म + उत्सर्ग = आत्मोत्सर्ग
सर्व + उपरि = सर्वोपरि
स + उदाहरण = सोदाहरण
स + उत्साह = सोत्साह
प्र + उत्साहन = प्रोत्साहन
ज्ञान + उदय = ज्ञानोदय
स्व + उपार्जित = स्वोपार्जित
दीप + उत्सव = दीपोत्सव
चरम + उत्कर्ष = चरमोत्कर्ष
समास + उक्ति = समासोक्ति
सर्व + उत्तम = सर्वोत्तम
स्वभाव + उक्ति = स्वभावोक्ति
प्रश्न + उत्तर = प्रश्नोत्तर
अंत्य + उदय = अंत्योदय
पुष्प + उघान = पुष्पोघान
प्र + उज्ज्वल = प्रोज्ज्वल
फाग + उत्सव = फागोत्सव
अन्याय + उपाय = अन्यान्योपाय
आनंद + उत्सव = आनन्दोत्सव
कर्ण + उचित = कर्णोचित
क्रम + उन्नत = क्रमोन्नत
गर्व + उन्मुक्त्त = गर्वोन्मुक्त्त
चट्ट + उपाध्याय = चट्टोपाध्याय
गर्व + उक्ति = गर्वोक्ति
जल + उत्थान = जलोत्थान
दलित + उत्थान = दलितोत्थान
दुग्ध + उपजीवी = दुग्धोपजीवी
धर्म + उपदेश = धर्मोपदेश
निम्न + उक्त्त = निम्नोक्त्त
पद + उन्नत = पदोन्नत
प्रसव + उत्सव = प्रसवोत्तसव
प्र + उन्नत = प्रोन्नत
पूर्व + उत्तर = पूर्वोत्तर
मान + उन्नति = मानोन्नति
भाव + उदय = भावोदय
मंद + उदरी = मंदोदरी
मंत्र + उपचार = मंत्रोपचार
मित्र + उचित = मित्रोचित
मुण्डक + उपनिषद = मुण्डकोपनिषद्
रहस्य + उद्घाटन = रहस्योद्घाटन
लुप्त + उपमा = लुप्तोपमा
विकास + उन्मुख = विकासोन्मुख
शंख + उदक = शंखोदक
शास्त्र + उक्त = शास्त्रोक्त
फल + उत्पत्ति = फलोत्पत्ति
स + उल्लास = सोल्लास
जल + उष्ण = जलोष्ण
मास + उत्तम = मासोत्तम
मुख + उपाध्याय = मुखोपाध्याय
यथार्थ + उन्मुख = यथार्थोन्मुख
रोग + उपचार = रोगोपचार
लोक + उत्तर = लोकोत्तर
वसंत + उत्सव = वसंतोत्सव
शाक + उपजीवी = शाकोपजीवी
शीत + उष्ण = शीतोष्ण
स + उपाधि = सोपाधि
स + उपसर्ग = सोपसर्ग
(6) अ + ऊ = ओ
नव + ऊढा = नवोढ़ा
जल + ऊर्मि = जलोर्मि
समुद्र + ऊर्मि = समुद्रोर्मि
सूर्य + ऊष्मा = सूर्योष्मा
अप + ऊह = अपोह
सागर + ऊर्मि = सागरोर्मि
जल + ऊष्मा = जलोष्मा
नव + ऊर्जा = नवोर्जा
सूर्य + ऊर्जा = सुर्योर्जा
(7) आ + उ = ओ
महा + उष्ण = महोष्ण
विघा + उत्तमा = विघोत्तमा
महा + उपदेश = महोपदेश
सेवा + उपरांत = सेवोपरांत
महा + उत्सव = महोत्सव
महा + उपाध्याय = महोपाध्याय
गंगा + उदक = गंगोदक
विघा + उपार्जन = विघोपार्जन
विघा + उन्नति = विघोन्नति
रक्षा + उपाय = रक्षोपाय
माया + उपजात = मायोपजात
यथा + उचित = यथोचित
करुणा + उत्पादक = करुणोत्पादक
महा + उदधि = महोदधि
महा + उदय = महोदय
महा + उपदेशक = महोपदेशक
परीक्षा + उपरांत = परीक्षोपरांत
महा + उघम = महोघम
गंगा + उत्सव = गंगोत्सव
होलिका + उत्सव = होलिकोत्सव
सिता + उपल = सितोपल
गंगा + उपाध्याय = गंगोपाध्याय
(8) आ + ऊ = ओ
गंगा + ऊर्मि = गंगोर्मि
महा + ऊर्मि = महोर्मि
दया + ऊर्मि = दयोर्मि
महा + ऊरू = महोरू
महा + ऊर्जस्वी = महोर्जस्वी
महा + ऊर्जा = महोर्जा
यमुना + ऊर्मि = यमुनोर्मी
सरिता + ऊर्मि = सरितोर्मि
(9) अ + ऋ = अर्
ब्रह्मा + ऋषि = ब्रह्मर्षि
सप्त + ऋषि = सप्तर्षि
शिशिर + ऋतु = शिशिरर्तु
ग्रीष्म + ऋतु = ग्रीष्मर्तु
सत्य + ऋतु = सत्यर्तु
उत्तम + ऋण = उत्तमर्ण
देव + ऋषभ = देवर्षभ
बसंत + ऋतु = बसंतर्तु
शीत + ऋतु = शीतर्तु
देव + ऋषि = देवर्षि
शरद + ऋतु = शरदर्तु
कण्व + ऋषि = कण्वर्षि
भरत् + ऋषभ = भरतर्षभ
राम + ऋषि = रामर्षि
अधम + ऋण = अधमर्ण
देव + ऋण = देवर्ण
राजन् + ऋषि = राजर्षि
(10) आ + ऋ = अर्
महा + ऋषि = महर्षि
महा + ऋण = महर्ण
महा + ऋत = महर्त
महा + ऋद्धि = महर्द्धि
राजा + ऋषि = राजर्षि
वर्षा + ऋतु = वर्षर्तु
गुण संधि के अपवाद उदाहरण सहित ( अ + ऊ = औ नियम से ) :-
अक्ष + ऊहिणी = अक्षौहिणी
पृष्ठ + ऊह = प्रस्ठौह
प्र + ऊढ़ = प्रौढ़
प्र + ऊह = प्रौह
संस्कृत में गुण संधि का सूत्र :-
आद्गुण:
हिंदी में गुण संधि के सूत्र का अर्थ :-
अ या आ के बाद इ या ई आए तो दोनों मिलकर ए हो जाते हैं, अ या आ के बाद उ या ऊ आए तो दोनों मिलकर ओ हो जाते हैं और अ या आ के बाद ऋ आए तो अर् हो जाता है। इस प्रकार बनने वाले शब्दों को गुण स्वर संधि कहते हैं।
गुण संधि की परिभाषा,नियम,सूत्र,प्रकार / भेद,अपवाद तथा 300+ उदाहरण PDF Download
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