कारक की परिभाषा, भेद एवं उनके उदाहरण

 कारक की परिभाषा, भेद  एवं उनके उदाहरण

✹ कारक की परिभाषा, भेद एवं उनके उदाहरण का अध्धयन ( karak ki paribhasha bhed evm unke udaharan ka adhdhyan ) :-

कारक की परिभाषा :-

"संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से वाक्य में प्रयुक्त अन्य शब्दों के साथ उसका संबंध ज्ञात होता है , उसे कारक कहते हैं । " दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि , वाक्य में प्रयुक्त "संज्ञा" या "सर्वनाम" शब्दों का उस वाक्य की क्रिया से जो संबंध पाया जाता है, उसे कारक कहते हैं ,
उदाहरण :- राम ने रावण को मारा । मोहन कुर्सी पर बैठा है ।
उपयुक्त वाक्यों में क्रमशः को , पर शब्द कारक है ।

कारक के भेद

कारक आठ प्रकार के होते हैं । इन कारकों को विभक्ति भी कहते हैं । प्रत्येक कारक का चिन्ह निर्धारित है । कारक के चिन्हो को विभक्ति चिन्ह भी कहते हैं ।

कारक , चिन्ह एवं विभक्ति की तालिका :-

कारक चिन्ह विभक्ति
कर्ता ने प्रथमा
कर्म को द्वितीय
करण से , के द्वारा तृतीया
संप्रदान के लिए , को चतुर्थी
अपादान से ( अलग होना ) पंचमी
संबंध का , की , के , रा , री , रे षष्ठी
अधिकरण मैं , पर सप्तमी
संबोधन हे ! रे ! अरे ! ओ !

1. कर्ता कारक : ( चिन्ह : " ने " ) : -

संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से क्रिया के करने वाले का बोध होता है उसे कर्ता कहते हैं ,
उदाहरण :- राम ने पत्र लिखा ।
इस वाक्य में "लिखा" क्रिया है । प्रश्न उठता है कि पत्र लिखने की क्रिया किसने की ? तो उत्तर मिलता है कि "राम ने" ।
" राम" "लिखा" क्रिया को करने वाला ( कर्ता ) है ।
इसी प्रकार -
1. सिपाही ने चोर को पकड़ा ।
2. राम ने रावण को मारा ।
3. बिल्ली ने चूहा पकड़ लिया ।
4. मोहन ने पुस्तक पढ़ी ।


2. कर्म कारक : ( चिन्ह : "को" ) : -

वाक्य में प्रयुक्त शब्द पर कर्ता द्वारा किए जाने वाले कार्य का फल पड़ता है , उसे "कर्म कारक" कहते हैं ,
उदाहरण :- - राम ने रावण को मारा ।
इस वाक्य में "राम" कर्ता द्वारा किए गए कार्य ( मारना ) का फल "रावण" पर पड़ रहा है । अत: "रावण को" यहां कर्म कारक है ।
इसी प्रकार -
1. रमेश ने मोहन को पत्र लिखा ।
2. पिताजी पुस्तक ले आए ।
3. राजू बाजार गया है ।
4. राम पुस्तक लिखता है ।


3. करण कारक : ( चिन्ह : "से" ) : -

वाक्य में प्रयुक्त कर्ता जिसकी सहायता से क्रिया करता है , उसे करण कारक कहते हैं
उदाहरण :- राम ने कलम से पत्र लिखा ।
किसकी सहायता से पत्र लिखा ? उत्तर मिला - "कलम" की सहायता से । अर्थात यहां "कलम" लिखने का साधन है अतः "कलम" करण कारक है
इसी प्रकार -
1. सीता चाकू से फल काटती है ।
2. मोहन लाठी से कुत्ते को मार रहा है ।
3. राजेश गेंद से खेल रहा है ।


4. संप्रदान कारक : ( चिन्ह : "को , के लिए" ) : -

वाक्य में प्रयुक्त कर्ता जिसके लिए कोई क्रिया करें , उसे संप्रदान कारक कहते हैं
उदाहरण :- चिड़िया बच्चों के लिए दाना लाती है ।
यहां चिड़िया (कर्ता) दाना लाने की क्रिया कर रही है । किसके लिए यह क्रिया की जा रही है ? उत्तर मिला - "बच्चों के लिए" ।
अतः "बच्चों के लिए" संप्रदान कारक है
इसी प्रकार -
1. राजेश मोहन के लिए आम लाया है ।
2. राजू पूजा के लिए पुष्प लाया है ।
3. सीता रेनू के लिए चाय लायी है ।
4. रमेश खिलाड़ी के लिए पानी लाया ।


5. अपादान कारक - { चिन्ह - से (अलग होना) } : -

जिससे किसी वस्तु का अलग होना गया ज्ञात हो , उसे अपादान कारक कहते हैं ,
उदाहरण :- राम पेड़ से गिर पड़ा ।
यहां "राम" गिर पड़ा । कहां से गिर पड़ा ? उत्तर मिला - "पेड़ से" ।
अतः "पेड़ से" अपादान कारक है ।
इसी प्रकार -
1. पत्ते पेड़ से गिर रहे हैं ।
2. राजू बस से कूद पड़ा ।
3. चिड़िया पिंजरे से उड़ गई ।
4. छात्र विद्यालय से चले गए ।


6. संबंध कारक : [ चिन्ह : "का की के रा री रे" ] : -

संज्ञा या सर्वनाम के उस रूप को जिससे उसके किसी व्यक्ति या वस्तु के साथ संबंध का बोध होता है , संबंध कारक कहलाता है ,
उदाहरण :- राम का भाई आ रहा है ।
यहां आने वाला व्यक्ति का संबंध "राम" से प्रकट हो रहा है अतः यहां "राम का" "संबंध कारक" है
इसी प्रकार -
1. यह तुम्हारा घर है ।
2. ये फल तुम्हारे हैं ।
3. मोहन की बहन आ रही है ।
4. यह पुस्तक मोहन की है ।


7. अधिकरण कारक : ( चिन्ह : "में , पर" ) : -

जिन शब्दों से क्रिया के आधार का बोध होता है , वें अधिकरण कारक होते हैं ,
उदाहरण :- मां कुर्सी पर बैठी है । बच्चा पालने में झूल रहा है ।
"मां" कहां बैठी है ? उत्तर मिला - कुर्सी पर । यहां पर "कुर्सी" बैठने की क्रिया का आधार है । इसी प्रकार दूसरे वाक्य में - बच्चा कहां झूल रहा है ? उत्तर मिला - पालने में । "पालना" झूलने की क्रिया का आधार है । अतः "कुर्सी पर" एवं "पालने में" अधिकरण कारक है ।
इसी प्रकार -
1. बिल्ली चटाई पर बैठी है ।
2. पुस्तकें अलमारी में रखी है ।
3. पेड़ पर बंदर बैठा है ।
4. कमरे में पंखा चल रहा है ।


8. संबोधन कारक : ( चिन्ह - "हे ! रे ! अरे ! ओ !" ) : -

वाक्य में संज्ञा के जिस रुप से बुलाने पुकारने या सावधान करने का बोध होता है , उसे संबोधन कारक कहते हैं ।
उदाहरण :- : अरे मोहन ! यहां आओ ।
यहां "मोहन" संज्ञा शब्द के इस रूप से पुकारने का बोध हो रहा है । अतः यहां "अरे मोहन" "संबोधन कारक" है
इसी प्रकार -
1. बालको ! कहां जा रहे हो ?
2. ओ भाई ! मेरी बात सुनो ।
3. राजेश ! तुम शीघ्र भाग जाओ ।
4. हे राम ! मेरी पुकार सुनो ।
उपयुक्त वाक्य में मोटे छपे शब्द संबोधन कारक है ।


परीक्षा उपयोगी महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर : -

1. " राजू ने लाठी से सांप मार दिया । " इस वाक्य में "लाठी से" है ?
कर्म कारक
करण कारक ✓
अपादान कारक
संबंध कारक

2. "छात्र पुस्तक पढ़ रहे हैं ।" वाक्य में "पुस्तक" है ?
कर्म कारक✓
करण कारक
अपादान कारक
संप्रदान कारक

3. "श्याम ने भोजन कर लिया ।" वाक्य में श्याम है ?
कर्म कारक
करण कारक
कर्ता कारक ✓
संबंध कारक

4. "राकेश घोड़े से गिरता है" वाक्य में "घोड़े से" है ?
करण कारक
संप्रदान कारक
अपादान कारक✓
संबंध कारक

5. "देवकीनंदन , महेश को भोजन लाया ।" वाक्य में "महेश को" है ?
करण कारक
संप्रदान कारक ✓
अपादान कारक
संबंध कारक

6. "वह पुरुषों में श्रेष्ठ है ।" इस वाक्य में "में" किस कारक का चिन्ह है ?
संबंध कारक
करण कारक
अधिकरण कारक ✓
कर्म कारक

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