समास की परिभाषा, भेद एवं उनके उदाहरण

समास की परिभाषा, भेद  एवं उनके उदाहरण

✹ समास की परिभाषा, भेद एवं उनके उदाहरण का अध्धयन :-

"समास" का अर्थ :-

सम् + आस अर्थात पास बिठाना । शब्दों को पास बिठाना , जिससे कम शब्द प्रयोग करके अधिक अर्थ प्राप्त किया जा सकें । ऐसा करने के लिए पदों में प्रयुक्त परसर्ग चिन्ह हटा लिए जाते हैं तथा विग्रह करते समय उन्ही परसर्ग चिन्हों को पुनः लगा लिया जाता है , जैसे "रसोई के लिए घर" इस पद से परसर्ग चिन्ह "के लिए" हटा लेने पर "रसोईघर" शेष बचता है । इसे समस्त पद कहते हैं ।


समास की परिभाषा :-

दो या दो से अधिक शब्दों का परस्पर अर्थ बताने के लिए उनके विभक्ति चिन्हों आदि का लोप करके शब्दों के मेल से बना हुआ शब्द "समास" कहलाता है ।

समास के भेद

समास के निम्नलिखित भेद होते हैं :-

1. तत्पुरुष समास

2. कर्मधारय समास

3. द्विगु समास

4. बहुव्रीहि समास

5. द्वंद समास

6. अव्ययीभाव समास

1. तत्पुरुष समास की परिभाषा :-

तत्पुरुष समास में द्वितीय पद प्रधान होता है प्रथम पद विशेष्य होता है कारक चिन्हों के आधार पर इसके 6 उपभेद हैं

I. कर्म तत्पुरुष ( "को" का लोप ) :-

समस्त पद → समास विग्रह स्वर्गप्राप्त →स्वर्ग को प्राप्त शरणागत →शरण को आगत मुंहतोड़ → मुंह को तोड़ने वाला गगनचुंबी → गगन को चूमने वाला नरभक्षी → नरो को खाने वाला

II. करण तत्पुरुष ( "से" , "के" , "द्वारा" का लोप ) :-

समस्त पद → समास विग्रह अकालपीड़ित → अकाल से पीड़ित मदांध → मद से अंधा पददलित → पद से दलित रससिक्त → रस से सिक्त शोकाकुल → शोक से आकुल हस्तलिखित → हाथ से लिखा हुआ मनगढ़ंत → मन से गढ़ा हुआ ईश्वरप्रदत्त → ईश्वर द्वारा प्रदत्त भयभीत → भय से भीत

III. संप्रदान तत्पुरुष ( "के लिए" का लोप ) :-

समस्त पद → समास विग्रह सभामंडप → सभा के लिए मंडप यज्ञवेदी → यज्ञ के लिए वेदी डाकगाड़ी → डाक के लिए गाड़ी देवालय → देवता के लिए गाड़ी गुरुदक्षिणा → गुरु के लिए दक्षिणा मालगोदाम → माल के लिए गोदाम स्नानघर → स्नान के लिए घर न्यायालय → न्याय के लिए आलय मार्गव्यय → मार्ग के लिए व्यय सत्याग्रह → सत्य के लिए आग्रह

IV. अपादान तत्पुरुष ( "से" अलग होने के अर्थ में का लोप ) :-

समस्त पद → समास विग्रह धनरहित → धन से रहित पापमुक्त → पाप से मुक्त ऋणमुक्त→ ऋण से मुक्त धर्मविमुख → धर्म से विमुख पथभ्रष्ट → पथ से भ्रष्ट

V. संबंध तत्पुरुष ( "का" , "की" , "के" का लोप ) :-

समस्त पद → समास विग्रह राजदरबार → राजा का दरबार नगरसेठ→ नगर का सेठ देशवासी → देश का वासी कन्यादान → कन्या का दान धर्मकांटा → धर्म का कांटा दीपशिखा → दीप की शिखा अन्नदान → अन्न का दान हिमालय → हिम का आलय भूदान → भूमि का दान सेनाध्यक्ष → सेना का अध्यक्ष गंगाजल → गंगा का जल स्वर्णपात्र → स्वर्ण का पात्र

VI. अधिकरण तत्पुरुष ( "में" , "पर" का लोप ) :-

समस्त पद → समास विग्रह पुरुषसिंह → पुरुषों में सिंह नरोत्तम → नरों में उत्तम कार्यकुशल → कार्य में कुशल घुड़सवार → घोड़े पर सवार आपबीती → आप पर बीती वनवास → वन में वास

2. कर्मधारय समास की परिभाषा : -

जिस समास में एक पद विशेषण तथा दूसरा पद विशेष्य होता है अथवा एक पद उपनाम तथा दूसरा उपमेय होता है , उसे कर्मधारय समास कहते हैं ।

कर्मधारय समास के तीन उपभेद है -

( I ) विशेषण पूर्वपद : जिस समस्त पद में पहला पद विशेषण दूसरा विशेष्य हो

जैसे :- समस्त पद → समास विग्रह पितांबर → पीला है जो वस्त्र नीलगाय → नीली है जो गाय प्रियसखा → प्रिय है जो सखा परमेश्वर → परम है जो ईश्वर

( II ) विशेष्य पूर्वपद : जिस समस्त पद में पहला पद विशेष्य और दूसरा पद विशेषण हो

जैसे :- समस्त पद → समास विग्रह पुरुषोत्तम → पुरुषों में जो है उत्तम नराधम → नरों में जो है अधम मुनिवर → मुनियों में जो है श्रेष्ठ

( III ) उपमेय उपमान : जिस समस्त पद में एक पद उपमेय ( जिसकी तुलना की जाए ) तथा दूसरा पद उपमान ( जिससे तुलना की जाए ) होता है

जैसे :- समस्त पद → समास विग्रह चंद्रमुख → चंद्रमा के समान मुख नरसिंह → सिंहरूपि नर विद्याधन → विद्या रूपी धन चरणकमल → कमल जैसे चरण

3. द्विगु समास की परिभाषा : -

जिस समास का पहला पद संख्यावाचक होता है और जिससे समुदाय का बोध होता है उसे द्विगु समास कहते हैं

जैसे :- समस्त पद → समास विग्रह त्रिलोक → तीन लोकों का समूह पंचवटी → पांच वटो का समूह चौपाये → चार पैरों का समाहार त्रिवेणी → तीन नदियों का समाहार दोपहर → दो पहरों का समाहार नवनिधि → नौ निधियों का समाहार चौराहा → चार राहों का समूह सप्तसिंधु → सात सिंधुओ का समूह त्रिभुवन → तीन भुवनों का समाहार नवरत्न → नौ रत्नों का समाहार चारदीवारी → चार दीवारों का समाहार

4. बहुव्रीहि समास की परिभाषा : -

जिस समस्त पद में कोई पद प्रधान नहीं होता बल्कि लक्षणों के अनुसार किसी अन्य पद की कल्पना होती है उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं ,

जैसे :-

समस्त पद विग्रह अन्य पद
पितांबर पीला है वस्त्र जिसका कृष्ण
दशानन दश हैं आनन जिसके रावण
चतुर्भुज चार हैं भुजाएं जिसकी विष्णु
विषधर विष को धारण करता है जो सांप
त्रिलोचन तीन है लोचन जिसके शिव
गिरिधर गिरी को धारण किया है जिसने कृष्ण
दशमुख दश है मुख जिसके रावण
पवनपुत्र पवन का पुत्र है जो हनुमान
शूलपाणी शूल है पाणि में जिसके वह शिव
चतुरानन चार आनंद है जिसके वह ब्रह्मा
लंबोदर लंबा है उदर जिसका वह गणेश
वीणापाणि वीणा है जिसके हाथ में वह सरस्वती
चंद्रशेखर चंद्रमा है शिखर पर जिसके शिव

5. द्वंद समास की परिभाषा : -

द्वंद समास में 2 पद प्रधान होते हैं दोनों पदों में "और" शब्द का लोप रहता है

जैसे :-

समस्त पद विग्रह
भाई - बहन भाई और बहन
माता - पिता माता और पिता
धनी - निर्धन धनी और निर्धन
देश - विदेश देश और विदेश
रात - दिन रात और दिन
सुख - दुख सुख और दुख
पूर्व - पश्चिम पूर्व और पश्चिम
हार - जीत हार और जीत
नर - नारी नर और नारी
दाल - रोटी दाल और रोटी
जन्म - मरण जन्म और मरण
हानि - लाभ हानि और लाभ
अन्न - जल अन्न और जल
सीता - राम सीता और राम
राधा - कृष्ण राधा और कृष्ण
जल - थल जल और थल
पेड़ - पौधे पेड़ और पौधे
पाप - पुण्य पाप और पुण्य
भला - बुरा भला और बुरा
वेद - पुराण वेद और पुराण
राजा - रानी राजा और रानी
छोटा - बड़ा छोटा और बड़ा

6. अव्ययीभाव समास की परिभाषा : -

जिस समस्त पद का पहला पद अव्यय हो और दूसरा पद संज्ञा हो तथा जिससे समस्त पद ही अव्यय बन जाए , उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं

जैसे :-

समस्त पद विग्रह
आजीवन जीवन पर्यंत
प्रतिदिन दिन दिन
यथाशक्ति शक्ति के अनुसार
प्रत्येक एक एक
भरपेट पेट भरकर
हाथोंहाथ हाथ ही हाथ में
आजन्म जन्म पर्यंत
यथाशीघ्र जितना शीघ्र हो सके
यथाविधि विधि के अनुसार
यथाक्रम क्रम के अनुसार
बेचैन बिना चैन के
अनजाने बिना जाने हुए
यथासंभव जितना संभव हो
यथासमय समय के अनुसार
निर्विकार बिना विकार के
निडर बिना डरे हुए
लाजवाब जिसका जवाब न हो
निर्भय बिना भय के

समास के अन्य उदाहरण : -

समस्त पद विग्रह समास का नाम
मुक्तिप्राप्त मुक्ति को प्राप्त कर्म तत्पुरुष
वनगमन वन को गमन कर्म तत्पुरुष
सुखदायक सुख को देने वाला कर्म तत्पुरुष
चिंताग्रस्त चिंता से ग्रस्त करण तत्पुरुष
भोजनालय भोजन के लिए आलय संप्रदान तत्पुरुष
पाणिग्रहण पानी का ग्रहण संबंध तत्पुरुष
शोकमग्न शोक में मग्न अधिकरण तत्पुरुष
शोभागमन शुभ है जो आगमन कर्मधारय तत्पुरुष
पशुपक्षी पशु और पक्षी द्वंद समास
पतितपावन पतितों को पावन करता है जो वह ( ईश्वर ) बहुव्रीहि समास

समास के प्रश्न :-

समास कितने प्रकार के होते हैं ?

समास मुख्यत: छ: प्रकार के होते हैं :-
1. तत्पुरुष समास
2. कर्मधारय समास
3. द्विगु समास
4. बहुव्रीहि समास
5. द्वंद समास
6. अव्ययीभाव समास

समास की परिभाषा संस्कृत में दीजिए ?

समास की परिभाषा – संक्षेप करना अथवा अनेक पदों का एक पद हो जाना समास कहलाता है। अर्थात् जब अनेक पद मिलकर एक पद हो जाते हैं तो उसे समास कहा जाता है। जैसे–
सीतायाः पतिः = सीतापतिः

अव्ययीभाव समास के उदाहरण दीजिए ?

समस्त पद विग्रह
आजीवन जीवन पर्यंत
प्रतिदिन दिन दिन
यथाशक्ति शक्ति के अनुसार
प्रत्येक एक एक
भरपेट पेट भरकर
हाथोंहाथ हाथ ही हाथ में
आजन्म जन्म पर्यंत
यथाशीघ्र जितना शीघ्र हो सके
यथाविधि विधि के अनुसार
यथाक्रम क्रम के अनुसार
बेचैन बिना चैन के
अनजाने बिना जाने हुए
यथासंभव जितना संभव हो
यथासमय समय के अनुसार
निर्विकार बिना विकार के
निडर बिना डरे हुए
लाजवाब जिसका जवाब न हो
निर्भय बिना भय के

बहुव्रीहि समास के प्रकार/भेद बताइए ?

बहुव्रीहि समास के चार भेद है -
(i) समानाधिकरणबहुव्रीहि (ii) व्यधिकरणबहुव्रीहि (iii) तुल्ययोगबहुव्रीहि (iv) व्यतिहारबहुव्रीहि

तत्पुरुष समास के उदाहरण बताइए ?

समस्त पद → समास विग्रह स्वर्गप्राप्त →स्वर्ग को प्राप्त शरणागत →शरण को आगत मुंहतोड़ → मुंह को तोड़ने वाला गगनचुंबी → गगन को चूमने वाला नरभक्षी → नरो को खाने वाला अकालपीड़ित → अकाल से पीड़ित मदांध → मद से अंधा पददलित → पद से दलित रससिक्त → रस से सिक्त शोकाकुल → शोक से आकुल हस्तलिखित → हाथ से लिखा हुआ मनगढ़ंत → मन से गढ़ा हुआ ईश्वरप्रदत्त → ईश्वर द्वारा प्रदत्त भयभीत → भय से भीत सभामंडप → सभा के लिए मंडप यज्ञवेदी → यज्ञ के लिए वेदी डाकगाड़ी → डाक के लिए गाड़ी देवालय → देवता के लिए गाड़ी गुरुदक्षिणा → गुरु के लिए दक्षिणा मालगोदाम → माल के लिए गोदाम स्नानघर → स्नान के लिए घर न्यायालय → न्याय के लिए आलय मार्गव्यय → मार्ग के लिए व्यय सत्याग्रह → सत्य के लिए आग्रह धनरहित → धन से रहित पापमुक्त → पाप से मुक्त ऋणमुक्त→ ऋण से मुक्त धर्मविमुख → धर्म से विमुख पथभ्रष्ट → पथ से भ्रष्ट राजदरबार → राजा का दरबार नगरसेठ→ नगर का सेठ देशवासी → देश का वासी कन्यादान → कन्या का दान धर्मकांटा → धर्म का कांटा दीपशिखा → दीप की शिखा अन्नदान → अन्न का दान हिमालय → हिम का आलय भूदान → भूमि का दान सेनाध्यक्ष → सेना का अध्यक्ष गंगाजल → गंगा का जल स्वर्णपात्र → स्वर्ण का पात्र पुरुषसिंह → पुरुषों में सिंह नरोत्तम → नरों में उत्तम कार्यकुशल → कार्य में कुशल घुड़सवार → घोड़े पर सवार आपबीती → आप पर बीती वनवास → वन में वास


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