ek saman vratiya gati
यदि कोई वस्तु एकसमान चाल से वृताकार पथ पर गति करें तो वस्तु की गति एकसमान वृतीय गति कहलाती है |
जब कोई वस्तु वृताकार पथ पर गति करती है तो वस्तु के वेग की दिशा लगातार परिवर्तित होती रहती है जिस कारण वस्तु का वेग परिवर्तित होता है | जिससे वस्तु की गति में त्वरण उत्पन्न हो जाता है |
यदि वस्तु की गति में परिवर्तित दिशा बदलने के कारण उत्पन्न होता है तो वस्तु की गति में उत्पन्न त्वरण को अभिकेन्द्रीय त्वरण कहते है |
अभिकेन्द्रीय त्वरण वस्तु के वेग की दिशा के लम्बवत् वृताकार पथ की त्रिज्या के अनुदिश केंद्र की और होती है | माना कोई कण r त्रिज्या के वृताकार पथ पर गति कर रहा है | किसी क्षण यह कण बिंदु P पर स्थित है जहाँ इसका वेग VP है | ∆t समयांतराल पश्चात् यह कण बिंदु Q पर पहुँच जाता है जहाँ इसका वेग VQ हो जाता है
सदिश योग की त्रिभुज विधि से
VQ→ = VP→ + ∆V→
दोनों त्रिभुज समरूप है
समरूप त्रिभुजो की संगत भुजाएँ समानुपाती होती है
OP = R
AB = v
PQ = v x ∆t
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