✻ जीव विज्ञान का परिचय और उनके जनको की सूची,जीवो के गुण,द्विनाम पद्धति का अध्धयन:-
✻ परिचय ( Introduction ) :-
➣ जीव विज्ञान सजीवों का विज्ञान है ( ग्रीक भाषा में बायोस का अर्थ "जीवन" तथा लोगोस का "अध्ययन" ) ।
विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत जीवधारियों का अध्ययन होता है, जीव विज्ञान कहलाती है इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग लैमार्क ( फ्रांस ) तथा ट्रेविरेनस ( जर्मन ) ने किया था ।
➣ जीव विज्ञान ( Biology ) को पुनः दो भागों वनस्पति विज्ञान ( Botany ) तथा जंतु विज्ञान ( Zoology ) में बांटा गया है ।
➣ थियोफ्रेस्ट्स ने 500 प्रकार के पौधों का वर्णन अपनी पुस्तक Historia Plantarum में किया है । इन्हें वनस्पति शास्त्र का जनक कहा जाता है हिप्पोक्रेट्स ने मानव रोगों पर प्रथम लेख लिखा । इन्हें चिकित्सा शास्त्र का जनक माना जाता है ।
➣ अरस्तु ने अपनी पुस्तक जंतु इतिहास ( Historia Animalium ) में 500 जंतुओं का वर्णन किया है इन्हें जंतु विज्ञान तथा जीव विज्ञान दोनों का जनक कहा जाता है ।
➣ वनस्पति विज्ञान में पौधों का एवं जंतु विज्ञान में जंतुओं का अध्ययन किया जाता है । जीवधारियों का सबसे अच्छा वर्गीकरण कैरोलस लीनियस नामक वैज्ञानिक ने किया था । इसलिए उन्हें वर्गिकी का पिता ( Father of Taxonomy ) कहा जाता है ।
✻ जीव विज्ञान की विभिन्न शाखाओं के जनको की सूची :-
जीव विज्ञान की विभिन्न शाखाओं के जनको की सूची | |
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शाखा | जनक |
जीव विज्ञान | अरस्तू |
आधुनिक वनस्पति विज्ञान | लिनियस |
कोशिका विज्ञान | रॉबर्ट हुक |
प्रतिरक्षा विज्ञान | एडवर्ड जैनर |
वनस्पति विज्ञान | थियोफ्रेस्टस |
जीवाश्मिकी | जार्ज क्यूवियर |
जन्तु विज्ञान | अरस्तू |
सुजननिकी | एफ. गाल्टन |
आनुवंशिकी | ग्रेगर जॉन मण्डल |
वनस्पति चित्रण | क्रेटियस |
आधुनिक आनुवंशिकी | ग्रेगरी बेटसन |
आधुनिक भ्रूण विज्ञान | वॉन बेयर |
पादप शारीरिकी | एन. गिऊ |
वर्गिकी | लीनियस |
कवक विज्ञान | माइकोली |
चिकित्साशास्त्र | हीप्पोक्रेटस |
औतिकी | मार्सेलो मैल्पीगी |
तुलनात्मक शारीरिकी | जी. क्यूवियर |
पादप कार्ययिकी | स्टीफन हेल्स |
सूक्ष्म जीव विज्ञान | लुई पाश्चर |
उत्परिवर्तन सिद्धांत के जनक | ह्यूगो डी. ब्राइज |
भारतीय कवक विज्ञान | ई. जे. बुट्लर |
भारतीय ब्रायोलॉजी | आर. एस. कश्यप |
जीवाणु विज्ञान | ल्यूवेनहॉक |
भारतीय पारिस्थितिकी | आर.डी. मिश्रा |
भारतीय शैवाल विज्ञान | एम. ओ. ए. आयंगर |
एण्डोक्राइनोलॉपी | थॉमस ऐडिसन |
✻ जीवो के गुण ( Characteristics of Organism ) श्वशन ( Respiration ) :-
➣ श्वशन इनका मुख्य लक्षण है इसमें जीव वायुमंडल से ऑक्सीजन ग्रहण करता है तथा कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकालता है । श्वशन क्रिया द्वारा वसा, कार्बोहाइड्रेट तथा प्रोटीन के विघटन से ऊर्जा प्राप्त होती है ,
जिससे समस्त जैविक क्रियाएं संचालित होती है ।
पोषण ( Nutrition ) :-
➣ जीवन के विकास तथा ऊर्जा उत्पादन हेतु पोषण आवश्यक है । पौधे प्रकाश संश्लेषण द्वारा तथा जंतु पौधों द्वारा पोषण प्राप्त करते हैं ।
प्रजनन ( Reproduction ) :-
➣ प्रजनन द्वारा प्रत्येक जीव अपने जैसा ही जीव पैदा कर अपनी वंश परंपरा को बनाये रखता है ।
अनुकूलन ( Adaptation ) :-
➣ जीवन संघर्ष में सफल होने के लिए जीव अपनी संरचना एवं कार्यीकी में परिवर्तन कर अपने अस्तित्व को बचाते हैं ।
गति ( Movement ) :-
➣ जीव धारियों में जंतु एक स्थान से दूसरे स्थान को गति करते हैं जबकि पौधे स्थिर रहकर अपने अंगों को गतिशील रखते हैं ।
संवेदनशीलता ( Sensitivity ) :-
➣ वातावरण में होने वाले परिवर्तन को जीवधारी अनुभव करते हैं और आवश्यकता अनुसार अपने अंदर परिवर्तन भी करते हैं ।
उपापचय ( Metabolism ) :-
➣ जीवो में उपापचय क्रिया होती है, जिसमें उपचय में रचनात्मक क्रियाएं तथा अपचय में अपघटन की क्रियाएं होती है
जीवन चक्र ( Life Cycle ) :-
➣ जीवधारियों में सभी जैविक क्रियाएं निश्चित समय पर होती है । एक निश्चित समय बाद वह नष्ट हो जाता है ।
जीव द्रव्य ( Protoplasm ) :-
➣ जीव धारियों में उपस्थित वास्तविक जीवित पदार्थ है । यह जीवो की भौतिक आधारशिला है ।
वृद्धि ( Growth ) :-
➣ जीवधारियों के आकृति , भार एवं आयतन में वृद्धि होती है ।
उत्सर्जन ( Excretion ) :-
➣ जीवधारियों द्वारा शरीर में उपस्थित हानिकारक पदार्थों का उत्सर्जन होता है ।
✻ द्विनाम पद्धति ( Binomial Nomenclature ) :-
➣ जीव विज्ञान की वह शाखा, जो ज्ञात जीवो की पहचान, नामकरण और वर्गीकरण से संबंधित है उसे वर्गिकी कहते हैं ।
➣ यह प्रणाली स्वीडन के वैज्ञानिक कैरोलस लीनियस ने दी थी । उन्होंने अपनी पुस्तक सिस्टेमा नैचुरे में 1758 ईस्वी में द्विपद नाम पद्धति की जानकारी दी । इस प्रणाली के अनुसार , हर जीवधारी के नाम में दो शब्द होते हैं । पहला पद है - वंश ( जेनरिक ) नाम , जो उसके संबंधित रूपों से साझा होता है दूसरा पद है एक विशिष्ट शब्द ( जाति पद ) । दोनों पदों के मिलने से जाति का नाम बनता है ।
➣ शुरू में जीव धारियों के नाम लेटिन भाषा में रखे गये ।
➣ वर्तमान में जीवधारियों का जो वर्गीकरण प्रचलित है वह आर. एच. व्हिटकर नामक वैज्ञानिक ने दिया था उन्होंने जीवो को 5 जगतो में विभाजित किया ।
1. मोनेरा ( Monera ) :-
➣ प्रोकेरियोटिक कोशिका एवं अविकसित केंद्रक पाया जाता है । इसमें जीवाणु एवं नील हरित शैवाल आते हैं ।
2. प्रोटिस्टा ( Protista ) :-
➣ एक कोशिकीय जीव , विकसित केंद्रक वाली यूकैरियोटिक कोशिकाएं पाई जाती है जैसे - अमीबा ।
3. प्लांटी ( Plantae ) :-
➣ बहुकोशीय पौधे, इनमें प्रकाश संश्लेषण होता है , कोशिकाओं में रिक्तिकाए भी पाई जाती है ।
4. कवक ( Fungi ) :-
➣ यूकैरियोटिक , पर्णहरित से रहित होते हैं तथा इन में प्रकाश संश्लेषण नहीं होता है ।
5. एनिमेलिया ( Animalia ) :-
➣ बहुकोशिकीय एवं यूकैरियोटिक जंतु होते हैं