![नर जनन तंत्र का सचित्र वर्णन और महत्वपूर्ण तथ्य](https://1.bp.blogspot.com/-VjGTbFHy2aQ/X_r-yTfsdZI/AAAAAAAABFY/Z--9Ar9QF2AXkbpL3Zuao305Ht-iwuEqwCLcBGAsYHQ/s400/%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%25B0%2B%25E0%25A4%259C%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%25A8%2B%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25A4%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B0%2Bknowledgekidaa.jpg)
✻ नर जनन तंत्र के सम्पूर्ण भागों का अध्ययन
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नर जनन तंत्र के सम्पूर्ण भाग :- :-
मनुष्य में नर जनन तंत्र निम्न भागों से मिलकर बना होता है :-
1. वृषण
2. अधिवृषण
3. शुक्र वाहिनी
4. शुक्राशय
5. युरिथ्रा ( मूत्र जनन मार्ग )
6. शिश्न
7. सहायक ग्रंथियां
1. वृषण :-
यह नर जनन तंत्र का मुख्य भाग होता है मनुष्य में 1 जोड़ी वृषण उदर गुहा के बाहर लटके रहते हैं यह अंडाकार होते हैं तथा वृषण कोष में बंधे रहते हैं प्रत्येक वृषण शुक्र जनन नलिकाओं से मिलकर बना होता है इस नलिका में शुक्र जनन कोशिकाएं पाई जाती है जो अर्धसूत्री विभाजन द्वारा अगुणित शुक्राणुओं का निर्माण करती है शुक्राणु बनने की क्रिया को शुक्र जनन कहते हैं वृषण में सरटोली कोशिकाएं पाई जाती है जो शुक्राणुओ को पोषण प्रदान करने का कार्य करती है टेस्टोस्टेरोन हार्मोन नर में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों ( जैसे आवाज का भारी होना , दाढ़ी मूछ का आना , त्वचा का मोटा होना ,नर जनन अंगों का विकास , शरीर पर अधिक बालों का उगना , कंधों का भारी होना आदि ) कार्यों का निर्धारण करता है ।
2. अधिवृषण :-
यह वर्षण के ऊपर फैला रहता है जो शुक्राणु के परिपक्व का कार्य करता है ।
3. शुक्र वाहिनी :-
यह बेलना कार लंबी नली होती है जो शुक्राणुओं को वृषण तथा अधिवृषण से शुक्राशय तक पहुंचाने का कार्य करती है ।
4. शुक्राशय :-
यह एक ग्रंथि होती है जो शुक्र द्रव का स्त्राव करती है शुक्राणुओं को लंबे समय तक एकत्रित करती है तथा शुक्राणुओं को लंबे समय तक पोषण प्रदान करती है ।
5. यूरिथ्रा ( मूत्र जनन मार्ग ) :-
नर में मूत्र मार्ग और जनन मार्ग के लिए उभयनिष्ठ नली होती है, जिसे यूरिथ्रा कहते हैं |
6. शिश्न :-
यह नर मार्ग का बाह्य जननांग होता है जो शुक्राणुओं को मादा के शरीर में स्थानांतरित करने का कार्य करते हैं मूत्र का त्याग शिश्न के द्वारा ही किया जाता है ।
7. सहायक ग्रंथियां :-
नर जनन तंत्र में 2 सहायक ग्रंथियां होती है
A. प्रोस्टेट ग्रंथि :-
यह ग्रंथि यूरिथ्रा के दोनों ओर पाई जाती है इस ग्रंथि से क्षारीय चिपचिपे पदार्थ का स्त्राव होता है जो मूत्रमार्ग को चिकना व क्षारीय बनाता है जिससे शुक्राणुओ को गति में सहायता मिलती है तथा मूत्र जनन मार्ग अम्लीय से क्षारीय हो जाता है जिससे शुक्राणु सक्रिय हो जाते हैं ।
B. पेरेन्नियल ग्रंथि तथा मलाशय ग्रंथि :-
यह दोनों ग्रंथियां मलाशय के पास स्थित होती है जो गंध युक्त पदार्थ का स्त्राव करती है यह स्त्राव विपरीत लिंग को आकर्षित करने का कार्य करता है ।
महत्वपूर्ण तथ्य :-
➣ मानव में नर शुक्राणु एवं मादा अंडाणु या अंडे उत्पन्न होते हैं शुक्राणु उत्पन्न करने की क्रिया को शुक्राणुजनन ( Spermatogenesis ) एवं अंडाणु उत्पन्न करने की क्रिया को अंडाणुजनन ( Oogenesis ) कहते हैं ।
➣ शुक्राणु और अंडाणु के मिलने को निषेचन ( Fertilisation ) कहते हैं मानव का गर्भाधान काल ( Gestation Period ) 280 दिनों या 40 सप्ताह का होता है
➣ शिश्न एवं तथा मूत्रवाहिनी ( Urethra ) , उत्सर्जन एवं जन्म दोनों तंत्र से संबंधित होते हैं ।
➣ इनविट्रो निषेचन या आई.वी.एफ ( In Vitro Fertilization or IVF ) वह प्रक्रिया है जिसमें गर्भाशय के बाहर शुक्राणु और अंडाणु का निषेचन कराया जाता है तथा बाद में इसे माता के गर्भाशय में तथा बाद में इसे माता के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है यह संतान उत्पन्न करने की कृत्रिम विधि है ।
➣ एम्नियोसेंटेटिस के द्वारा माता के गर्भ में स्थित बच्चे के लिंग का पता किया जा सकता है ।