सभी 8 केंद्र शासित क्षेत्र तथा उनके उच्च न्यायालय :-
केंद्र शासित क्षेत्र | उच्च न्यायालय |
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अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह | कलकत्ता उच्च न्यायालय |
दिल्ली | दिल्ली हाईकोर्ट |
पांडिचेरी | मद्रास हाईकोर्ट |
लक्षद्वीप | कोच्चि हाईकोर्ट (केरल) |
दादरा नगर हवेली और दमनदीव | बॉम्बे हाईकोर्ट |
चंडीगढ़ | पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट |
जम्मू कश्मीर | जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट |
लद्दाख | जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट |
अनुच्छेद 239(1) :-
संघ शासित क्षेत्रों का प्रशासन राष्ट्रपति द्वारा चलाया जाएगा । यहां राष्ट्रपति से तात्पर्य संघीय कार्यपालिका और संसद से है इसके लिए राष्ट्रपति एक प्रशासक की नियुक्ति करेगा ।
अनुच्छेद 239(2) :-
संघ शासित क्षेत्र का प्रशासन प्रशासक चलाएगा तथा वही संघ शासित क्षेत्र का प्रतिनिधि होगा राष्ट्रपति चाहे तो किसी भी निकटतम राज्य के राज्यपाल को प्रशासक नियुक्त कर सकता है तथा राज्यपाल अपनी मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना संघ शासित क्षेत्र का प्रशासन चलाएगा ।
1991 कर 69 वा संविधान संशोधन :-
इस संशोधन के तहत अनुच्छेद-239(A) और अनुच्छेद 239(B) को जोड़ा गया जो निम्न प्रकार है -
अनुच्छेद - 239(A) :-
अनुच्छेद - 239(A) के तहत पांडिचेरी में एक 30 सदस्यीय विधानसभा तथा दिल्ली में एक 70 सदस्यीय विधान सभा का गठन किया गया । संघ शासित क्षेत्र की विधानसभा का गठन या विघटन करने का अधिकार संसद को है । इसी अनुच्छेद के तहत दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ( NCT ) का दर्जा दिया गया तथा दिल्ली के प्रशासन को लेफ्टिनेंट गवर्नर का दर्जा दिया गया ।
अनुच्छेद 239(B) :-
दिल्ली और पांडिचेरी के प्रशासक को अध्यादेश जारी करने की शक्ति ।
अनुच्छेद 240 :-
संघ शासित क्षेत्रों में कानून बनाने का अधिकार राष्ट्रपति को दिया गया है परंतु जिन संघ शासित क्षेत्र ( दिल्ली और पांडिचेरी ) में विधानसभा का गठन किया गया है वहां कानून बनाने का अधिकार विधानसभा को होगा लेकिन यहां पर भी विधानसभा भंग होने की स्थिति में कानून बनाने का अधिकार राष्ट्रपति को होगा ।
अनुच्छेद 241 :-
प्रत्येक संघ शासित क्षेत्र के लिए उच्च न्यायालय का प्रावधान ।
1966 में एकमात्र संघ शासित क्षेत्र दिल्ली में पृथक उच्च न्यायालय का गठन किया गया ।
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