राष्ट्रपति और उससे सम्बंधित महत्वपूर्ण बिन्दु, उसका निर्वाचन , निर्वाचन की विधि , उसका कार्यकाल , योग्यताएं , पद की शर्ते , शपथ , राष्ट्रपति पर महाभियोग ,राष्ट्रपति की शक्तियां | PDF Download |

राष्ट्रपति और उससे सम्बंधित महत्वपूर्ण बिन्दु, उसका निर्वाचन , निर्वाचन की विधि , उसका कार्यकाल ,  योग्यताएं , पद की शर्ते , शपथ , राष्ट्रपति पर महाभियोग ,राष्ट्रपति की शक्तियां | PDF Download |

राष्ट्रपति ( अनुच्छेद 52 - 65 )

अनुच्छेद 52 :-

भारत का एक राष्ट्रपति होगा ।

राष्ट्रपति से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु :-

1. राष्ट्रपति का पद USA से लिया गया है ।
2. संघ की कार्यपालिका का प्रधान सदेव भारत का राष्ट्रपति होता है ।
3. भारत का राष्ट्रपति ही भारत का प्रथम नागरिक होता है ।
4. वैधानिक तौर पर संघ का प्रधान राष्ट्रपति होता है परंतु वास्तविक तौर पर संघ का प्रधान भारत का प्रधानमंत्री होता है ।
5. भारत का राष्ट्रपति ब्रिटिश क्राउन के समान तथा भारत का प्रधानमंत्री अमेरिका के राष्ट्रपति के समान होता है ।

अनुच्छेद 53 :-

संघ की कार्यपालिका की सभी शक्तियां राष्ट्रपति में निहित होती है ।


अनुच्छेद 54 :-

राष्ट्रपति का निर्वाचन ।

राष्ट्रपति का निर्वाचन जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से न होकर अप्रत्यक्ष रूप से एक निर्वाचन मंडल द्वारा होता है इस मंडल में सम्मिलित है -

1. लोकसभा के निर्वाचित सदस्य ।
2. राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य ।
3. राज्यों की विधानसभा के निर्वाचित सदस्य ।
4. दिल्ली तथा पांडिचेरी संघ शासित प्रदेश के विधानसभा के निर्वाचित सदस्य ( 70 वें संविधान संशोधन 1992 )

अनुच्छेद 55 :-

राष्ट्रपति के निर्वाचन की विधि ।

यह विधि आयरलैंड से ली गई है ।
राष्ट्रपतीय एवं उपराष्ट्रपतीय निर्वाचन अधिनियम 1952 के तहत राष्ट्रपति के निर्वाचन की विधियां तय की गई है यह कार्य भारत का निर्वाचन आयोग करता है ।

अनुच्छेद 55 (3) :-

राष्ट्रपति के निर्वाचन की विधि को "एकल संक्रमणीय मतदान प्रणाली" कहते हैं ।

हैमर नाम के एक ब्रिटिश विद्वान के द्वारा इस विधि का निर्माण किया गया था । 1956 में डेनमार्क के मंत्री एंड्रे ने इसे लागू किया इसलिए इस विधि को एंट्रे सिस्टम भी कहा जाता है ।
अनुच्छेद 55 के तहत यह स्पष्ट किया गया है कि वर्ष 2026 तक 1971 की जनसंख्या के आधार पर ही राष्ट्रपति का निर्वाचन कराया जाएगा ।

इस मतदान प्रणाली की विशेषताएं :-

1. इस प्रणाली में निर्वाचन मंडल के सदस्य राष्ट्रपति प्रत्याशी को वरीयता प्रदान करते हैं ।
2. सर्वप्रथम राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार ₹15000 के शुल्क के साथ आवेदन करता है ।
3. उस उम्मीदवारी के लिए नाम कम से कम संसद के 50 सदस्यो द्वारा प्रस्तावित और न्यूनतम 50 सदस्यों द्वारा अनुमोदित होना चाहिए ।

अनुच्छेद 56 :-

राष्ट्रपति का कार्यकाल ।

1. राष्ट्रपति का कार्यकाल शपथ ग्रहण करने के दिन से 5 वर्ष का होता है ।
2. राष्ट्रपति तब तक अपने पद पर बना रहेगा जब तक अगला राष्ट्रपति निर्वाचित होकर पद ग्रहण न कर ले ।
3. परंतु अनुच्छेद-62 के तहत यह प्रावधान किया गया कि राष्ट्रपति का कार्यकाल पूर्ण होने से पहले अगले राष्ट्रपति का चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए ।
4. कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति कभी भी उपराष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र सौंप कर अपना पद त्याग सकता है ।
5. अगर राष्ट्रपति का कार्यकाल के दौरान मृत्यु हो जाए या उस पर महाभियोग लग जाए या वह अपना पद त्याग दें तो भारत का उपराष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति की भी गैरमौजूदगी में भारत का मुख्य न्यायाधीश या मुख्य न्यायाधीश की भी गैरमौजूदगी में सर्वोच्च न्यायालय का वरिष्ठ न्यायाधीश उसका कार्यभार संभालेंगे । कार्यभार संभालने वाला व्यक्ति कार्यवाहक राष्ट्रपति कहलाता है ।
कार्यवाहक राष्ट्रपति अधिकतम 6 महीने के लिए कार्यभार संभाल सकता है अर्थात 6 महीने के भीतर राष्ट्रपति का रिक्त पद पुन: भर जाना चाहिए ।

अनुच्छेद 57 :-

राष्ट्रपति के पुन: निर्वाचन का प्रावधान ।


अनुच्छेद 58 :-


राष्ट्रपति पद के लिए योग्यताएं -
1. वह भारत का नागरिक हो ।
2. वह 35 वर्ष की आयु पार कर चुका हो ।
3. वह किसी भी लाभ के पद पर न हो ।
4. वह लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता रखता हो ।


अनुच्छेद 59 :-


राष्ट्रपति पद की शर्तें -
1. राष्ट्रपति कभी भी संसद के किसी भी सदन या राज्य के विधान मंडल के किसी भी सदन का सदस्य नहीं हो सकता ।
2. राष्ट्रपति कार्यालय सदैव राष्ट्रीय राजधानी में और उच्चतम न्यायालय के समीप होना चाहिए ।
3. राष्ट्रपति सदैव एक सरकारी आवास और यात्रा भत्तो का भोगी तथा उसके वेतन भत्तों में कमी नहीं की जाएगी ।
4. राष्ट्रपति के वेतन और भत्ते भारत की संचित निधि से दिए जाएंगे ।

अनुच्छेद 60 :-

राष्ट्रपति की शपथ ।
राष्ट्रपति को शपथ भारत के मुख्य न्यायाधीश के द्वारा दिलाया जाता है तथा मुख्य न्यायाधीश की अनुपस्थिति में उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश द्वारा दिलाई जाती है ।


अनुच्छेद 61 :-

राष्ट्रपति का महाभियोग ।
राष्ट्रपति द्वारा संविधान का अतिक्रमण किए जाने पर राष्ट्रपति को उसके पद से निष्कासित करने की प्रक्रिया महाभियोग कहलाती है ।

राष्ट्रपति की शक्तियां

यह दो प्रकार की होती है -
1. सामान्य कालीन शक्तियां ।
2. आपातकालीन शक्तियां ।

1. सामान्य कालीन शक्तियां :-

1. कार्यपालिका से संबंधित शक्तियां :-

1. अनुच्छेद 53 के तहत संघ की कार्यपालिका की सभी शक्तियां राष्ट्रपति में निहित होती है जिनका इस्तेमाल वह स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करता है ।
2. अनुच्छेद 77 के तहत कार्यपालिका का संपूर्ण प्रशासन राष्ट्रपति के ही नाम से चलाया जाता है ।
3. अनुच्छेद 75 के तहत प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और मंत्रिपरिषद की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह से की जाती है ।
4. अनुच्छेद 75(2) के तहत राष्ट्रपति ही मंत्रियों में विभागों का वितरण करता है इसलिए व्यक्तिगत तौर पर मंत्री राष्ट्रपति के ही प्रति उत्तरदायी होते हैं ।
राष्ट्रपति निम्न पदाधिकारियों की नियुक्ति करता है -
1. राज्यों के राज्यपाल ।
2. उच्चतम तथा उच्च न्यायालयो के न्यायाधीशों की नियुक्ति ।
3. महान्यायवादी ।
4. महाधिवक्ता
5. मुख्य निर्वाचन आयुक्त ।
6. संघ लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष ।
7. नियंत्रक महालेखा परीक्षक ( CAG )
8. विभिन्न आयोगों के अध्यक्ष ।
9. विदेशी राजपूत ।
10. सैन्य अध्यक्ष ।

2. सैन्य शक्ति :-

1. संविधान के अनुच्छेद 53(2) के तहत राष्ट्रपति भारत के सैन्य बलों का सर्वोच्च अधिकारी होता है ।
2. राष्ट्रपति के द्वारा ही शांति एवं युद्ध की घोषणा की जाती है परंतु रक्षा संबंधी कानून बनाने का अधिकार संसद को है ।

3. वैदेशिक शक्तियां :-

1. भारतीय दूतावास के लिए यह राजदूत या उच्चायुक्त की नियुक्ति करता है ।
2. अंतरराष्ट्रीय संबंधों में यह भारत का प्रतिनिधित्व करता है ।
3. अंतरराष्ट्रीय संधियां भी राष्ट्रपति के नाम से की जाती है ।

4. न्यायिक शक्तियां :-

अनुच्छेद 143 के तहत राष्ट्रपति मुख्य न्यायाधीश से परामर्श करने या सलाह लेने की शक्ति रखता है । लेकिन उस सलाह को मानना या ना मानना राष्ट्रपति पर निर्भर करता है ।

5. विधायिका की शक्तियां :-

1. अनुच्छेद 79 के तहत भारत का राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग होता है ।
2. अनुच्छेद 85 के तहत राष्ट्रपति समय-समय पर संसद के दोनों सदनों को सत्र के लिए बुलाता है ।
3. अनुच्छेद 85 के तहत राष्ट्रपति चाहे तो लोकसभा भंग कर सकता है ।
4. अनुच्छेद 86 के तहत संसद में 2 बार (बजट सत्र एवं नई सरकार का प्रथम सत्र ) में अभीभाषण देता है ।

6. संयुक्त अधिवेशन की शक्तियां :-

1. अनुच्छेद 87 के तहत संसद में राष्ट्रपति का विशेष अभिभाषण होता है , जब राष्ट्रपति के द्वारा संयुक्त अधिवेशन बुलाया जाता है।
2. विशेष परिस्थितियों में अनुच्छेद 108 के तहत राष्ट्रपति चाहे तो संसद के दोनों सदनों को एक अधिवेशन में बुला सकता है जिसे संयुक्त अधिवेशन कहते हैं । यह प्रारूप ऑस्ट्रेलिया से लिया गया है तथा इसकी अध्यक्षता लोकसभा स्पीकर के द्वारा की जाती है ।

7. संसद में सदस्यों की नियुक्ति की शक्ति :-

1. अनुच्छेद 331 के तहत राष्ट्रपति के द्वारा लोकसभा में दो एंग्लो भारतीयो की नियुक्ति की जाती है ।
2. अनुच्छेद 80 के तहत साहित्य, कला, विज्ञान, सामाजिक कार्य और अन्य स्पर्धाओं में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले 12 सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति राज्यसभा में करता है । यह प्रावधान आयरलैंड से लिया गया है ।

8. विधायकों पर विशेषाधिकार की शक्ति :-

1. कोई भी विधेयक राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अधिनियम बनता है ।
2. विधेयक पर वीटो शक्ति :-
आत्यांतिक वीटो :- राष्ट्रपति चाहे तो किसी भी विधेयक पर अपनी सहमति रद्द कर सकता है ।
निलंबन कारी वीटो :- राष्ट्रपति चाहे तो विधेयक को पुर्नविचार के लिए संसद को लौटा सकता है ।
पॉकेट वीटो /J.B. वीटो :- राष्ट्रपति किसी भी विधेयक को एक बार अपनी जेब में रख सकता है ।
सर्वप्रथम तथा एकमात्र पॉकेट वीटो का प्रयोग करने वाले प्रथम राष्ट्रपति सरदार ज्ञानी जैल सिंह ( 1982-1987 ) थे जिन्होंने 1986 के भारतीय डाक विधेयक में इसका प्रयोग किया था ।

9. राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति :-

अनुच्छेद 123 के तहत राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने का अधिकार है अध्यादेश की अवधि सत्र के दौरान 6 सप्ताह तथा अधिकतम 6 माह तक हो सकती है ।

10. राष्ट्रपति की क्षमाधान करने की शक्ति :-

अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति चाहे तो निम्न प्रारूपो में क्षमाधान दे सकता है
1.क्षमा
2. लघु करण
3. परिहार
4.विराम
5. निलंबन

11. वित्तीय शक्ति :-

अनुच्छेद 112 के तहत भारत का राष्ट्रपति ही संसद में संघ का वार्षिक विवरण पेश करवाएगा जिसे संघीय बजट कहते हैं ।
आकस्मिक निधि से धन राशि निकालने की शक्ति केवल राष्ट्रपति के पास होती है ।

आपातकालीन शक्तियां :-

1. अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रपति चाहे तो आवश्यक परिस्थितियों जैसे - युद्ध, बाह्य आक्रमण तथा सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकता है । यह अब तक तीन बार लागू किया जा चुका है -
26 अक्टूबर 1962 :- भारत-चीन युद्ध के समय ।
राष्ट्रपति - राधाकृष्णन
PM :- पंडित जवाहरलाल नेहरू ।

3 December 1971 :- पाकिस्तान के आक्रमण के समय
राष्ट्रपति :- V.V. गिरी ।
प्रधानमंत्री :- इंदिरा गांधी ।

25 जून 1975 :- आंतरिक अशांति के आधार पर ।
राष्ट्रपति :- F.A. अहमद
प्रधानमंत्री :- इंदिरा गांधी

2. अनुच्छेद 354 के तहत राष्ट्रपति चाहे तो संघ एवं राज्यों के बीच राजस्व के बंटवारे में फेरबदल कर सकता है ।
3. अनुच्छेद 359 के तहत यदि राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा हो जाए तो अनुच्छेद 20 और 21 को छोड़कर सारे मौलिक अधिकारों से वंचित किया जा सकता है ।
4. अनुच्छेद 356 के तहत राज्य में राष्ट्रपति शासन का प्रावधान है ।
5. अनुच्छेद 357 के तहत उच्च न्यायालय की शक्ति को छोड़कर बाकी सभी राष्ट्रपति अपने हाथों में ले सकता है ।
6. अनुच्छेद 360 के तहत राष्ट्रपति वित्तीय आपातकाल की घोषणा कर सकता है भारत में अभी तक वित्तीय आपातकाल की घोषणा नहीं की गई है ।

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