राज्य की विधायिका

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अनुच्छेद 169 :-

किसी भी राज्य में विधान परिषद का गठन या विघटन करने का अधिकार केवल संसद का होता है ।


अनुच्छेद 170 :-

विधानसभा की संरचना
एक सामान्य राज्य की विधानसभा में न्यूनतम 60 और अधिकतम 500 सदस्य हो सकते हैं जिसमें से एक आंग्ल भारतीय की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है तथा शेष सदस्य प्रत्यक्ष रूप से जनता के द्वारा चुने जाते हैं ।


अनुच्छेद 171 :-

राज्य की विधान परिषद की संरचना किसी भी सामान्य राज्य की विधान परिषद में न्यूनतम सदस्यों की संख्या 40 तथा अधिकतम उस राज्य की विधान मंडल के सदस्यों का एक तिहाई ( 1 / 3 ) होना चाहिए । विधान परिषद के एक तिहाई सदस्य नगर पालिका से आते हैं
इसके अन्य एक तिहाई सदस्य हमारी विधान सभा के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं
1/12 - सदस्य - विश्व विद्यालय स्नातक से
1/12 - सदस्य - राजकीय उच्च माध्यमिक अध्यापकों से
1/6 - सदस्य की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है ।


अनुच्छेद 172 :-

राज्य की विधान मंडल का कार्यकाल ।
नई सरकार के प्रथम सत्र से विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है लेकिन आपातकाल की स्थिति में इस कार्यकाल को 1 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है ।
विधान परिषद राज्य के विधान मंडल का उच्च सदन होता है इसका एक निश्चित कार्यकाल नहीं है प्रत्येक 2 वर्ष के बाद इसके एक तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त कर दिए जाते हैं ।


अनुच्छेद 172(2) :-

विधान परिषद के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है ।


अनुच्छेद 173 :-

विधानसभा एवं विधान परिषद के सदस्यों की योग्यताएं -
1. वह भारत का नागरिक हो ।
2. वह पागल या दिवालिया ना हो ।
3. वह किसी भी लाभ के पद पर ना हो ।
4. विधान सभा के सदस्यों की न्यूनतम आयु 25 वर्ष तथा विधान परिषद के सदस्यों की न्यूनतम आयु 30 वर्ष होनी चाहिए ।


अनुच्छेद 174 :-

राज्य का राज्यपाल विधान मंडल के दोनों सदनों को समय-समय पर सत्र के लिए बुलाएगा ।
विधानसभा को भंग करने का अधिकार केवल राज्यपाल को है ।


अनुच्छेद 175 :-

विधानसभा में राज्यपाल का अभिभाषण
1. नई सरकार के प्रथम सत्र के समय ।
2. बजट सत्र ।


अनुच्छेद 176 :-

विधानसभा में राज्यपाल का विशेष अभिभाषण संयुक्त अधिवेशन के दौरान होता है ।


अनुच्छेद 178 :-

विधानसभा के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का प्रावधान ।


अनुच्छेद 179 :-

अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष दोनों अपने त्यागपत्र एक दूसरे को सौंपेंगे ।


विधानसभा के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का निलंबन :-

14 दिन का नोटिस देकर विधानसभा अध्यक्ष से इस्तीफे की मांग की जाएगी तथा उसे केवल विधानसभा से अविश्वास प्रस्ताव पारित करके निष्कासित किया जाएगा ।

अनुच्छेद 180 :-

विधानसभा के अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उसका कार्यभार उपाध्यक्ष संभालेगा ।

विधानसभा की शक्तियां :-

1. राज्य सूची और समवर्ती सूची के विषयो पर कानून बनाने का अधिकार विधानसभा का है ।
2. यदि राज्यपाल किसी विधेयक को पुनर्विचार करने के लिए विधानसभा को लौटाता आता है लेकिन अगर वह विधेयक पारित होकर पुन: राज्यपाल के पास आता है तो वह उस पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य होता है ।
3. एक धन विधेयक को केवल विधानसभा में पेश किया जा सकता है ।
4. राज्य के वार्षिक बजट पर नियंत्रण केवल विधानसभा का होता है ।
5. अगर विधानसभा किसी धन विधेयक को पारित करके उसे विधान परिषद को भेजती है तथा 14 दिन के भीतर यदि विधान परिषद उसे अपनी स्वीकृति देकर वापस नहीं लौटाती आती है तो वह विधायक स्वत: विधानसभा में पारित मान लिया जाता है ।


अनुच्छेद 189 :-

राज्य की विधान मंडल की गणपूर्ति ।
राज्य के विधान मंडल की गणपूर्ति 10% होती है ।


अनुच्छेद 200 :-

राज्य को अधिकार है कि वह किसी भी विधेयक को राष्ट्रपति को सौंप सकता है ।


अनुच्छेद 202 :-

राज्य का वार्षिक वित्तीय विवरण ।


अनुच्छेद 213 :-

राज्यपाल की अध्यादेश जारी करने की शक्ति ।


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