100 वाक्य हिंदी से संस्कृत/संस्कृत से हिन्दी में अनुवाद | PDF Download |

100 वाक्य हिंदी से संस्कृत/संस्कृत से हिन्दी में अनुवाद | PDF Download |

अनुवाद का अर्थ :-

एक भाषा को दूसरी भाषा में परिवर्तित करने का नाम अनुवाद है |
अनुवाद निरंतर अभ्यास की प्रक्रिया है | अत: छात्रों को चाहिए कि वे प्रतिदिन कुछ हिंदी के वाक्यों का नियमानुसार संस्कृत में अनुवाद करें तथा अपने शिक्षकों को दिखाकर अपनी कमियों को दूर करके दक्षता प्राप्त करें |
यहाँ हमारे द्वारा हिंदी से संस्कृत में अनुवाद के 100 सरल वाक्य दिये गये है जिनका अभ्यास कर पाठक भाषाई अनुवाद में दक्षता प्राप्त कर सकता है | आप हमें नीचे comment करके बता सकते है कि आपको यह लेख कैसा लगा |

(1) मोहन दौड़ता है |
संस्कृत में अनुवाद:- मोहन: धावति |

(2) बालक पढ़ता है |
संस्कृत में अनुवाद:- बालक: पठति |

(3) राधा भोजन पकाती है |
संस्कृत में अनुवाद:- राधा भोजनं पचति |

(4) छात्र देखता है |
संस्कृत में अनुवाद:- छात्र: पश्यति |

(5) गीदड़ आता है |
संस्कृत में अनुवाद:- शृगाल: आगच्छति |

(6) वह प्रश्न पूछता है |
संस्कृत में अनुवाद:- स: प्रश्नं पृच्छति |

(7) बन्दर फल खाता है |
संस्कृत में अनुवाद:- कपि: फलं भक्षयति |

(8) दो बच्चे पढ़ते है |
संस्कृत में अनुवाद:- शिशू पठत: |

(9) वे सब दौड़ते है |
संस्कृत में अनुवाद:- ते धावन्ति |

(10) बालक चित्र देखते हैं |
संस्कृत में अनुवाद:- बालका: चित्रं पश्यन्ति |

(11) तुम पाठ पढ़ते हो |
संस्कृत में अनुवाद:- त्वं पाठं पठसि |

(12) तुम क्या देखते हो |
संस्कृत में अनुवाद:- त्वं किं पश्यसि |

(13) तुम कब जाते हो ?
संस्कृत में अनुवाद:- त्वं कदा गच्छसि ?

(14) तुम दोनों चित्र देखते हो |
संस्कृत में अनुवाद:- युवां चित्रं पश्यथ: |

(15) तुम दोनों पत्र लिखते हो |
संस्कृत में अनुवाद:- युवां पत्रं लिखथ: |

(16) तुम सब यहाँ आते हो |
संस्कृत में अनुवाद:- यूयम् अत्र आगच्छथ |

(17) तुम सब प्रात: दौड़ते हो |
संस्कृत में अनुवाद:- यूयं प्रात: धावथ |

(18) तुम दोनों फल खाते हो |
संस्कृत में अनुवाद:- युवां फलं भक्षयथ: |

(19) तुम यहाँ आते हो |
संस्कृत में अनुवाद:- त्वम् अत्र आगच्छसि |

(20) तुम सब कहाँ जाते हो ?
संस्कृत में अनुवाद:- यूयं कुत्र गच्छथ ?

(21) वह गाँव को गया |
संस्कृत में अनुवाद:- स: ग्रामम् अगच्छत् |

(22) ब्राह्मण घर गया |
संस्कृत में अनुवाद:- विप्र: गृहम् अगच्छत् |

(23) उसने स्नान किया |
संस्कृत में अनुवाद:- स: स्नानम् अकरोत् |

(24) राम और मोहन पढ़े |
संस्कृत में अनुवाद:- राम: मोहन: च अपठताम् |

(25) वे दोनों बाग को गए |
संस्कृत में अनुवाद:- तौ उद्यानम् अगच्छताम् |

(26) सीता पानी लायी |
संस्कृत में अनुवाद:- सीता जलम् आनयत् |

(27) लड़की ने खाना खाया |
संस्कृत में अनुवाद:- बालिका भोजनम् अभक्षयत् |

(28) क्या तुम्हारा भाई यहाँ आया ?
संस्कृत में अनुवाद:- किं तव सहोदर: अत्र आगच्छत् ?

(29) तुम लोग कहाँ गए ?
संस्कृत में अनुवाद:- यूयं कुत्र अगच्छत ?

(30) सीता ने एक पत्र लिखा |
संस्कृत में अनुवाद:- सीता एकं पत्रम् अलिखत् |

(31) उसका मित्र आया |
संस्कृत में अनुवाद:- तस्य मित्रम् आगच्छत् |

(32) कृष्ण ने अर्जुन से कहा |
संस्कृत में अनुवाद:- कृष्ण: अर्जुनम् अकथयत् |

(33) मुनि ने तप किया |
संस्कृत में अनुवाद:- मुनि: तप: अकरोत् |

(34) राम ने पत्र लिखा |
संस्कृत में अनुवाद:- राम: पत्रम् अलिखत् |

(35) मैनें चोरों को देखा |
संस्कृत में अनुवाद:- अहं चौरान् अपश्यम् |

(36) राम ने सदा सत्य बोला |
संस्कृत में अनुवाद:- राम: सदा सत्यम् अवदत् |

(37) सेवक ने अपना कार्य किया |
संस्कृत में अनुवाद:- सेवक: स्वकार्यम् अकरोत् |

(38) धनिक ने धन दिया |
संस्कृत में अनुवाद:- धनिक: धनम् अयच्छत् |

(39) अध्यापक क्रुद्ध हुआ |
संस्कृत में अनुवाद:- अध्यापक: क्रुद्ध: अभवत् |

(40) तुमने कल क्या किया |
संस्कृत में अनुवाद:- त्वं ह्य: किम् अकरो: |

(41) ब्रह्मादत्त जाएगा |
संस्कृत में अनुवाद:- ब्रह्मादत्त: गमिष्यति |

(42) मोहनश्याम पत्र लिखेगा |
संस्कृत में अनुवाद:- मोहनश्याम: पत्रं लेखिष्यति |

(43) लड़के पाठ पढ़ेगें |
संस्कृत में अनुवाद:- बालका: पाठं पठिष्यन्ति |

(44) तुम पाठ याद करोगे |
संस्कृत में अनुवाद:- त्वं पाठं स्मरिष्यसि |

(45) सीता वन को जाएगी |
संस्कृत में अनुवाद:- सीता वनं गमिष्यति |

(46) वे सब चित्र देखेंगे |
संस्कृत में अनुवाद:- ते चित्रं द्रक्ष्यन्ति |

(47) प्रमिला खाना पकाएगी |
संस्कृत में अनुवाद:- प्रमिला भोजनं पक्ष्यति |

(48) तुम दोनों दूध पियोगे |
संस्कृत में अनुवाद:- युवां दुग्धं पास्यथ: |

(49) छात्र खेल के मैदान में दौड़ेंगे |
संस्कृत में अनुवाद:- छात्रा: क्रीड़ाक्षेत्रे धाविष्यन्ति |

(50) मैं क्या करूँगा ?
संस्कृत में अनुवाद:- अहं किं करिष्यामि ?

(51) तुम प्रसन्न होंगे |
संस्कृत में अनुवाद:- त्वं प्रसन्न: भविष्यसि |

(52) हम क्या चाहेंगे ?
संस्कृत में अनुवाद:- वयं किम् एषिष्याम: ?

(53) राम स्नान करेगा |
संस्कृत में अनुवाद:- राम: स्नानं करिष्यति |

(54) मैं क्रोध करूँगा |
संस्कृत में अनुवाद:- अहं क्रोत्स्यामि |

(55) पुत्र पिता के साथ जाएगा |
संस्कृत में अनुवाद:- पुत्र: जनकेन सह गमिष्यति |

(56) बालक पुस्तकें गिनेगा |
संस्कृत में अनुवाद:- बालक: पुस्तकानि गणयिष्यति |

(57) चोर धन चुराएगा |
संस्कृत में अनुवाद:- चौर: धनं चोरयिष्यति |

(58) मैं तेरे साथ चलूँगा |
संस्कृत में अनुवाद:- अहं त्वया सह चलिष्यामि |

(59) वह पुरस्कार जीतेगा |
संस्कृत में अनुवाद:- स: पुरस्कारं जेष्यति |

(60) शिक्षक छात्र को पीटेगा |
संस्कृत में अनुवाद:- शिक्षक: छात्रं ताडयिष्यति |

(61) राधा पाठ पढ़े |
संस्कृत में अनुवाद:- राधा पाठं पठतु |

(62) छात्र भोजन करें |
संस्कृत में अनुवाद:- छात्रा: भोजनं कुर्वन्तु |

(63) राजा धन दे |
संस्कृत में अनुवाद:- नृप: धनं यच्छतु |

(64) ईश्वर जीवन बचाए |
संस्कृत में अनुवाद:- ईश्वर: जीवनं रक्षतु |

(65) हम चित्र देखें |
संस्कृत में अनुवाद:- वयं चित्रं पश्याम |

(66) तुम बाग में दौड़ो |
संस्कृत में अनुवाद:- त्वम् उद्याने धाव |

(67) वे फूल ले जाएँ |
संस्कृत में अनुवाद:- ते पुष्पाणि नयन्तु |

(68) वे दोनों जल पिएँ |
संस्कृत में अनुवाद:- तौ जलं पिबताम् |

(69) राधा खाना पकाए |
संस्कृत में अनुवाद:- राधा भोजनं पचतु |

(70) तुम दोनों पाठ पढ़ो |
संस्कृत में अनुवाद:- युवां पाठं पठतम् |

(71) वह कविता रचे |
संस्कृत में अनुवाद:- स: कवितां रचयतु |

(72) तुम दोनों पत्र लिखो |
संस्कृत में अनुवाद:- युवां पत्रं लिखतम् |

(73) मैं सत्य बोलूँ |
संस्कृत में अनुवाद:- अहं सत्य वदानि |

(74) हम सभी सृजन करें |
संस्कृत में अनुवाद:- वयं सर्वे सृजाम |

(75) मोहन और सोहन पाठ याद करें |
संस्कृत में अनुवाद:- मोहन: सोहन: च पाठं स्मरताम् |

(76) वे फूल स्पर्श नहीं करें |
संस्कृत में अनुवाद:- ते पुष्पाणि न स्पृशन्तु |

(77) तुम मत हंसो |
संस्कृत में अनुवाद:- त्वं मा हस |

(78) हम बाग को जाएँ |
संस्कृत में अनुवाद:- वयम् उद्यानं गच्छाम |

(79) आओ, पढ़ो, लिखो |
संस्कृत में अनुवाद:- आगच्छ, पठ, लिख |

(80) वहाँ मत जाओ |
संस्कृत में अनुवाद:- तत्र मा गच्छ |

(81) उसे पाठ पढ़ना चाहिए |
संस्कृत में अनुवाद:- स: पाठं पठेत् |

(82) तुम्हें वहाँ जाना चाहिए |
संस्कृत में अनुवाद:- त्वं तत्र गच्छे: |

(83) सीता को खाना पकाना चाहिए |
संस्कृत में अनुवाद:- सीता भोजनं पचेत् |

(84) उसे पत्र लिखना चाहिए |
संस्कृत में अनुवाद:- स: पत्रं लिखेत् |

(85) तुम्हें क्रोध नहीं करना चाहिए |
संस्कृत में अनुवाद:- त्वं क्रोधं न कुर्या: |

(86) तुम्हें पाठ याद करना चाहिए |
संस्कृत में अनुवाद:- त्वं पाठं स्मरे: |

(87) मुझे तुम्हारे साथ होना चाहिए |
संस्कृत में अनुवाद:- अहं त्वया सह भवेयम् |

(88) माताजी को कहानी कहनी चाहिए |
संस्कृत में अनुवाद:- जननी कथां कथयेत् |

(89) हमें विद्यालय रोजाना जाना चाहिए |
संस्कृत में अनुवाद:- वयं प्रतिदिनं विद्यालयं गच्छेम् |

(90) उन्हें गाँव नहीं जाना चाहिए |
संस्कृत में अनुवाद:- ते ग्रामं न गच्छेयु: |

(91) बच्चो को भयभीत नहीं होना चाहिए |
संस्कृत में अनुवाद:- बालका: भयभीता: न भवेयु: |

(92) तुम सभी को देश की रक्षा करनी चाहिए |
संस्कृत में अनुवाद:- यूयं देशस्य रक्षां कुर्यात |

(93) लड़की को नहीं हँसना चाहिए |
संस्कृत में अनुवाद:- बालिका न हसेत् |

(94) उसे विद्वान् का सम्मान करना चाहिए |
संस्कृत में अनुवाद:- स: विदुष: सम्मानं कुर्यात |

(95) हमें शिक्षकों की आज्ञा माननी चाहिए |
संस्कृत में अनुवाद:- वयं शिक्षकानाम् आज्ञापालनं कुर्याम |

(96) तुम्हें कलह नहीं करना चाहिए |
संस्कृत में अनुवाद:- त्वं कलहं न कुर्या: |

(97) हमें अपनी पुस्तकें पढ़नी चाहिए |
संस्कृत में अनुवाद:- वयं स्वपुस्तकानि पठेम् |

(98) राम को धीरे - धीरे बोलना चाहिए |
संस्कृत में अनुवाद:- राम: मन्दं - मन्दं वदेत् |

(99) तुम्हें प्रात: पाठ याद करने चाहिए |
संस्कृत में अनुवाद:- त्वं प्रात: पाठान् स्मरे: |

(100) पुत्र को पिता के साथ होना चाहिए |
संस्कृत में अनुवाद:- पुत्र: जनकेन सह भवेत् |

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