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कार्य शक्ति और ऊर्जा ( Work , Power and Energy )

कार्य शक्ति और ऊर्जा ( Work , Power and Energy ) का अध्धयन

कार्य ( Work ) :-

किसी वस्तु पर बल लगाकर उसकी दिशा या आकार में परिवर्तन किया जाता है , तो इसमें जो क्रिया संपन्न होती है , उसे कार्य कहते हैं ।
किसी वस्तु पर किये गये कार्य का मान , लगाये गये बल तथा बल की दिशा में वस्तु के विस्थापन के गुणनफल के बराबर होती है । कार्य एक अदिश राशि है ।
कार्य का मात्रक M.K.S. पद्धति में जूल , C.G.S पद्धति में अर्ग तथा F.P.S. पद्धति में फुट पौंड है ।
कार्य = बल X बल की दिशा में परिवर्तन
1 जूल = 107 अर्ग
1 किलोवाट आवर = 36 x 1012 अर्ग
यदि एक न्यूटन का बल किसी पिंड पर लगाये जाने पर बल की दिशा में 1 मीटर का विस्थापन होता है तो किया गया कार्य 1 जूल होगा ।

शक्ति ( Power ) :-

किसी कारक द्वारा कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं ।
पूरा कार्य समान होने पर भी शक्ति अलग-अलग हो सकती है कार्य की गणना में समय का कोई ध्यान नहीं रखा जाता है , परंतु शक्ति की गणना करने में समय का ध्यान अवश्य रखा जाता है ।
शक्ति, आदिश राशि हैं C.G.S. पद्धति में शक्ति का मात्रक अर्ग / सैकेंड तथा M.K.S. पद्धति में जूल प्रति सेकंड है । शक्ति का अधिक प्रचलित मात्रक अश्व शक्ति ( Horse Power - H.P.) है ।
1 वाट = 1 जूल / सैकेंड
1 किलोवाट = 1000 वाट
1 मेगावाट = 106
1 अश्व शक्ति = 1 हॉर्सपॉवर = 746 वाट
1 किलोवाट = 1.34 हॉर्सपॉवर

ऊर्जा ( Energy ) :-

जब किसी वस्तु में कार्य करने की क्षमता होती है , तो कहा जाता है कि वस्तु में ऊर्जा है जैसे - गिरते हुए हथौड़े , चलती हुई बंदूक की गोली , तेज गति से बहता झरना , ऊष्मा इंजन विद्युत सेल आदि ऐसी वस्तुये हैं , जो कार्य कर सकती है । अतः इनमें ऊर्जा व कार्य एक दूसरे के समरूप हैं ।
ऊर्जा का मात्रक भी जूल होता है।
यह दो प्रकार की होती है
1.गतिज ऊर्जा
2.स्थितिज ऊर्जा ।

1. गतिज ऊर्जा ( Kinetic Energy ) :-

बंदूक चलाने पर उसकी नली से निकलने वाली गोली में इतनी शक्ति होती है कि वह सामने की दीवार को भेज सकती है । इसका उदाहरण में गति प्रदान कर द्रव्यमान को ऊर्जा दी गई । गति के कारण जो ऊर्जा उत्पन्न होती है उसे गतिज ऊर्जा कहते हैं ।
माना m द्रव्यमान की कोई वस्तु v वेग से गतिमान है तो :
गतिज ऊर्जा = 1 / 2 x द्रव्यमान x वेग2

2. स्थितिज ऊर्जा ( Potential Energy ) :-

किसी वस्तु की विशेष अवस्था अथवा स्थिति के कारण उसमें कार्य करने की जो क्षमता होती है , उसे वस्तु की स्थितिज ऊर्जा कहते हैं । उदाहरणस्वरूप दबी हुई स्प्रिंग , घड़ी में चाबी भरना , पृथ्वी से कुछ ऊंचाई पर स्थित वस्तु आदि में स्थितिज ऊर्जा संचित होती है ।
स्थितिज ऊर्जा के कई रूप होते हैं , जैसे - प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा , गुरूत्वीय स्थितिज ऊर्जा , वैद्युत स्थितिज ऊर्जा , चुंबकीय ऊर्जा , रासायनिक ऊर्जा , नाभिकीय ऊर्जा आदि ।

ऊर्जा का रूपांतरण ( Conversion of Energy ) :-

भौतिक जगत में सभी प्रक्रियाओं में किसी न किसी प्रकार ऊर्जा का एक या अधिक रूपों में रूपांतरण होता रहता है । उदाहरण - जब दो गतिमान वस्तु एक दूसरे से टकराती है तो उनमें ध्वनि व ऊष्मा उत्पन्न होती है ।
ध्वनि व ऊष्मा भी ऊर्जा के एक रूप है जब कोई वस्तु बहुत अधिक गर्म करते हैं तो उसमें प्रकाश उत्पन्न होता है , जो कि ऊर्जा का एक रूप है । वैद्युत ऊर्जा , चुंबकीय ऊर्जा भी ऊर्जा के रूप है , जिनका एक - दूसरे में रूपांतरण किया जा सकता है ।

उपकरण / क्रिया प्रारंभिक ऊर्जा रूपान्तरित ऊर्जा
विधुत बल्ब विधुत ऊर्जा ऊष्मीय एवं प्रकाश ऊर्जा
विधुत उष्मक विधुत ऊर्जा ऊष्मीय ऊर्जा
विधुत भट्टी विधुत ऊर्जा ऊष्मीय ऊर्जा
प्रकाश विधुत सेल प्रकाश ऊर्जा विधुत ऊर्जा
माइक्रोफोन ध्वनि ऊर्जा विधुत ऊर्जा
डायनमो यांत्रिक ऊर्जा विधुत ऊर्जा
विधुत सेल रासायनिक ऊर्जा विधुत ऊर्जा
लाऊडस्पीकर विधुत ऊर्जा ध्वनि ऊर्जा
विधुत घंटी विधुत ऊर्जा ध्वनि ऊर्जा
टेलीफ़ोन विधुत ऊर्जा ध्वनि ऊर्जा
मोबाइल विधुत ऊर्जा ध्वनि ऊर्जा
कोयले का जलना रासायनिक ऊर्जा विधुत ऊर्जा
मोमबत्ती रासायनिक ऊर्जा ऊष्मीय एवं प्रकाश ऊर्जा
सितार यांत्रिक ऊर्जा ध्वनि ऊर्जा
थर्मल पावर स्टेशन ऊष्मा ऊर्जा विधुत ऊर्जा
जेनरेटर यांत्रिक ऊर्जा विधुत ऊर्जा
विधुत अपघटन विधुत ऊर्जा रासायनिक ऊर्जा
सोलर कुकर प्रकाश ऊर्जा ताप ऊर्जा
ऊष्मा इंजन ऊष्मीय ऊर्जा यांत्रिक ऊर्जा
मोटर पंखा विधुत ऊर्जा यांत्रिक ऊर्जा

ऊर्जा संरक्षण का नियम ( Law of Conservation of Energy ) :-

इस सिद्धांत के अनुसार , ऊर्जा न तो उत्पन्न और न ही नष्ट की जा सकती है , किंतु इसका एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तन हो सकता है ।
गुरुत्व के अधीन किसी ऊंचाई से मुक्त रूप से गिरती हुई वस्तु की कुल ऊर्जा अपरिवर्तित रहती है क्योंकि स्थितिज ऊर्जा की कमी ,गतिज ऊर्जा की वृद्धि से पूरी हो जाती है ।
जब वस्तु पृथ्वी तल पर पहुंचती है तो इसकी स्थितिज ऊर्जा शून्य हो जाती है और कुल ऊर्जा गतिज ऊर्जा में रूपांतरित हो जाती है । किंतु ऊर्जा की कीमत बढ़ती है । अत: गुरूत्व के अधीन मुक्त पवन में ऊर्जा का कुल योग पूर्ववत रहता है ।
जब कोई चालक किसी पहाड़ी पर अपना वाहन चढ़ाता है , तब उसकी चाल बढ़ा देती है क्योंकि जब चालक वाहन को पहाड़ी पर चढ़ाता है , तब वाहन की स्थितिज ऊर्जा में वृद्धि के कारण गतिज ऊर्जा की कमी को पूरा करने के लिए वाहन चालक वाहन की चाल बढ़ा देता है ।

प्रत्यास्था ( Elasticity ) :-

प्रत्येक वस्तु का साधारण अवस्था में एक निश्चित आकार होता है लेकिन जब उस पर कोई बाहरी बल लगाया जाता है तो उसका आकार बदल जाता है इसके बाद जब यह बल हटा लिया जाता है तो वह वस्तु वापस अपने पुराने आकार में आ जाती है वस्तु के इस गुण को जिसके कारण वह अपना पुराना आकार एवं आकृति पाने का प्रयास करती है प्रत्यास्था कहते हैं । उदाहरण :- कमानी या स्प्रिंग तथा रबर ।

दाब ( Pressure ) :-

किसी सतह की प्रति इकाई क्षेत्रफल पर कार्य कर रहा बल दाब कहलाता है । यदि बल का मात्रक न्यूटन हो और क्षेत्रफल का मात्रक मीटर2 हो तो दाब का मान न्यूटन / मीटर2 होगा। न्यूटन / मीटर2 को पास्कल भी कहा जाता है । यह दाब का SI मात्रक हैं । दाब एक अदिश राशि है ।
वायुमंडल में वायु जो दाब डालती है , उसे वायुमंडलीय दाब ( Atmosphere Pressure ) कहते हैं इसका मात्रक बार है इसका मापन बैरोमीटर नामक यंत्र से किया जाता है ।

पृष्ठ तनाव ( Surface Tension ) :-

द्रवों में एक विशेष गुण होता है , जिसके कारण उनका स्वतंत्र पृष्ठ एक झिल्ली की तरह व्यवहार करता है तथा कम से कम क्षेत्रफल घेरने का प्रयास करता है धर्मों के इस गुण को पृष्ठ तनाव कहते हैं ।
पृष्ठ तनाव के कारण ही कुछ कीड़े-मकोड़े पानी की सतह पर तैरते रहते हैं ।

केशिकत्व ( Capillarity ) :-

द्रव के उस प्रभाव को जिसके कारण केशनली में द्रव ऊपर बढ़ता है अथवा नीचे उतरता है , केशिकत्व कहते हैं इस प्रभाव का कारण पृष्ठ तनाव ही है ।
दैनिक जीवन में केशिकत्व के कुछ उदाहरण इस प्रकार है : मोमबत्ती में धागे से मोम का पिघलकर ऊपर चढ़ना, लालटेन में मिट्टी के तेल का बत्ती में ऊपर चढ़ना इत्यादि ।
सभी पौधों की जड़ों से केशिकत्व के कारण हीं पानी ऊपर चढ़ता है तथा पेन के निब की नोक से स्याही निकलती है ।

कार्य,ऊर्जा एवं शक्ति Question and Answer

1. जब कोई पिंड मुक्त रूप से पृथ्वी की ओर गिरता है, तो इसकी कुल ऊर्जा अचर रहती है ।
2. रासायनिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में बदलने में बैट्री सहायक होता है ।
3. किसी वस्तु में उसकी स्थिति के कारण संचित ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा कहलाता है ।
4. “जूल” कार्य का मात्रक होता है ।
5. ऊर्जा की वाणिज्यिक इकाई "किलोवाट ऑवर" होती है ।
6. कोई कार किसी समतल सड़क पर त्वरित होकर अपने आरंभिक वेग का चार गुना वेग प्राप्त कर लेती है। इस प्रक्रिया में कार की स्थितिज ऊर्जा परिवर्तित नहीं होती है ।
7. ऋणात्मक कार्य के प्रकरण में बल एवं विस्थापन के बीच का कोण 180° होता है ।
8. जब कोई वस्तु स्वतंत्र रूप से जमीन पर गिर रही होती है तो उसकी कुल ऊर्जा स्थिर रहती है ।
9. 100W का विद्युत् बल्ब 1 मिनट में 6000 जूल ऊर्जा का स्थानान्तरण करता है ।
10. जब किसी वस्तु के द्वारा कार्य किया जाता है, तो उसे ऊर्जा की प्राप्ति होती है ।
11. कोई लड़की अपनी पीठ पर 3 kg द्रव्यमान का बस्ता उठाए किसी समतल सड़क पर 300 m की दूरी तय करती है। उसके द्वारा गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध किया जाने वाला कार्य शून्य होगा (g = 10 m s⁻²)।
12. 60 वाट का एक रेडियो सेट 50 घंटे तक चलता है। उसके द्वारा खपत की गई विद्युत ऊर्जा 3 किलोवाट-ऑवर होती है ।
13. ऊर्जा का मात्रक "किलोवाट" नहीं है ।
14. शक्ति की सबसे छोटी ईकाई "वाट" है ।
15. बांध के संग्रहित जल में स्थितिज ऊर्जा होती है ।
16. किसी वस्तु पर किया गया कार्य वस्तु के प्रारंभिक वेग पर निर्भर नहीं करता है।



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